एक टुकड़ा आसमान
एक टुकड़ा आसमान
मेरी छत पर खुला आसमान.चाहती हूँ
पूरा जिंदगी का ये अरमान चाहती हूँ।
नहीं बाँटना मुझे अपने हिस्से का आसमान
चाँद से बातें करूँ मैं छूकर उसे शादमाँ।
हर मौसम मे खुलकर जीना चाहती हूँ
मेरी छत पर खुला आसमान चाहती हूँ।
चढ़ कर छत पर जाड़े की धूप लूँगी
बारिश की रिमझिम में खूब भीग लूँगी।
तुमसे जरा सा मिले ईमान चाहती हूँ
अपने अंदर जिंदादिल इंसान चाहती हूँ
मेरी छत पर खुला आसमान चाहती हूँ।
सर्द रातों की ठंडी चुभन महसूस करना
वासंती हवाओं के साथ झूमना इठलाना
सुहानी शाम को छत से तुम्हें निहारना।
प्यार से तुम देखो तो मुस्कुराना चाहती हूँ
आसमान तले सुकून से बैठना चाहती हूँ
मेरी छत पर खुला आसमान चाहती हूँ।।