शरमा जाये है मुझ से
शरमा जाये है मुझ से
तेरे दिल को ज़रा सा चैन अगर आ जाये है मुझ से
तेरे दो नैन, मन, तन, रूह शरमा जाये है मुझ से
हमेशा सोचता हूँ मैं रखु संभाल के ये दिल
ये दिल खुद ओर तेरी खींचता हीं जाये है मुझ से
न बोलूंगा कभी कड़वा, न बोलू झूठ तुमसे मैं
न जाने क्यों हमेशा सच न बोला जाये है मुझ से
जो आईना यहाँ बिखरा पड़ा है टूट के मन सा
न छोड़ू साथ मैं प्यारा न छूटा जाये है मुझ से
हरा कर इस ज़माने को मैं जीतूंगा ज़माना ये
मैं खुद को सौंपूं चरणों में, ये सौंपा जाये है मुझ से