मेरी जिन्दगी
मेरी जिन्दगी
ऐ जो मेरी भीगी सी लिखावट है
लगता है इसमें मेरे अश्कों की मिलावट है।।
ऐ जिन्दगी,
बहुत दिन गुजर गए तुझे खुश देखे हुए,
सालों गुजर गए तुझे खुशी के सेज पर लेटे हुए।।
काश भर पाता खुशी नामक स्याही तुझपे
काश लिख पाता खुशी इस स्याही से,
अपनी इस जिन्दगी पे
काश भर पाता उमंग रस अपनी इस जिन्दगी में
काश बदल पाता दुख का हर लम्हा खुशी में
तो तू रंगीन हो जाती,
प्यार के मल्हार से और भी मस्त हो जाती।
बस अब बहुत हुआ थोड़ा भी दे,
मुझसे अपना उदास होने का कसूर ही बता दे।।
बचपन में तो तू यूँ ना उदास थीं मुझसे
मुझे ये ही बता अब क्यूँ हताश हैं मुझसे ।।
ऐ मेरी जिन्दगी मुझसे उदास क्यों है इतनी,
तू ज़रा बता दे मुझसे नाराज क्यों है इतनी।।
क्या साँसे रख दूँ गिरवी अपनी किसी के हाथ,
शायद मुस्करा दे जिन्दगी कुछ पल मेरे साथ।।