तलाश
तलाश
पहले लोग मेहनत से पैसे कमाते हैं,
ऐशोआराम की जिंदगी पाते हैं।
फिर एकांत और शांति की तलाश में,
दुनियादारी से दूर चले जाते हैं।
तू किसे ढूंढ रहा है सोच जरा,
क्या मन की चंचलता तुझे सताती है ?
क्या रिश्तो में ये कुछ कड़वाहट लाती है ?
क्या सब होने के बाद भी कुछ कमी सी है ?
क्या खुशियों के बाद भी आंखों में नमी सी है ?
तो अब थोड़ा खुद को भी वक्त देना सिखों,
जीत और हार दोनों में शांत रहना सीखों।
चलो, मेरे जैसी ही थोड़ा सा कुछ काम करो,
कुछ पल के लिए दुनियादारी से आराम करो।
मैं सवेरा हूं शाम की तरह ही ढल जाता हूं,
कुछ पल शांति की तलाश में निकल जाता हूं।
याद रखों यहाँ बूंद नहीं बल्कि समंदर हैं।
जिस शांति और सुकून की तलाश है तुम्हें,
वो बाहर नहीं बल्कि तुम्हारे ही अंदर हैं।