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Bhavna Thaker

Romance

5.0  

Bhavna Thaker

Romance

डार्क फेन्टसी रात

डार्क फेन्टसी रात

1 min
372


यस डार्क फेन्टसी वाली ही रात थी 

जन्मा था एक चाँद मेरी ज़िंदगी की रात के

आँचल तले चाहत की कोख से..!


तुम हाँ तुम,

मेरी नाभी के आसपास ऊँगली से

लिख रहे थे अपना नाम,

गुदगुदाते मैं सहमी सी पड़ी रही

एक रोमांच को आँखें मूँदे महसूस करती..!


बलखाती कमर पे अधरों से प्यार लिखा

जब तुमने टूटकर अंग-अंग बिखर गया 

तिश्नगी ओर बढ़ती रही मेरी पाने तुम्हें 

पूरा मचलती रही उस पल, 

मेरी पीठ पे फूँक से लिखा जब तुमने

आई लव यू हाँ वो इन्तेहाँ थी..!


चरम के पार पहुँचे दो बदन एक कशिश में बँधे 

हौले से तुमने चुमा मेरी पलकों पर रखकर लब अपने 

गर्म साँसों की आँच जला गई नखशिख..!


तुम शीत कहाँ 

गर्म चाँद मेरे जन्मे चाहत की कोख से

मुझे जलाने अपनी तपिस में,

उफ्फ़ उस रात की तौबा..! 


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