Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Apurba Mondal

Tragedy

4  

Apurba Mondal

Tragedy

दिल की आग

दिल की आग

1 min
389


यो आग दिल के अन्दर जल रहा है

आंसुओं से वह नहीं बुझेगा।

यह आग है ऐसा जिसको बुझाने में

समंदर के लहरें भी थक जाएगा।


वाशर से में बहुत शांत स्वभाव का

लेकिन अंदर से पूरा चूर चूर हो गया हूं।

गहरा चोट को दिल मे छुपाके

मर मर के में जी रहा हूँ।


कभी कभार लगता है इस बेजान ज़िन्दगी से

 अभी के अभी निकल जाऊं।

 यह मायावी दुनिया छोड़के 

आसमान मे तारों के साथ दिन गुजारूं।


 मैं इतना भी अच्छा इनसान नहीं हूँ यो

जान पुछ के गलती करने वाले को माफ कर दुगां।

मैं किसी का उधार नहीं रखता

सबका कर्ज में चुन चुन कर लौटा दूंगा।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Apurba Mondal