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Dr Lalit Upadhyaya

Abstract

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Dr Lalit Upadhyaya

Abstract

माँ तो माँ होती है

माँ तो माँ होती है

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कांटा लगे बच्चे को तो वो रोती है,

बच्चे को सूखे में, खुद गीले में सोती है,

क्योंकि माँ तो माँ होती है।


नींद तभी आती है जब माँ लोरी कहती है,

बच्चे की नादानी व दर्द सब सहती है,

डर भी डर जाता है जब माँ होती है,

बहादुर बेटे को जब खोती है,


झर-झर अश्रुधारा से वो रोती है,

बचपन की कहानी माँ जब कहती है,

भैया बहन की अठखेलियाँ साझा करती है,

क्योंकि माँ तो माँ होती है।


आना जाना लगा रहता है,

घर का कोना-कोना यहीं कहता है,

माँ के जाने का गम सहता है,

घर में अब कौन रहता है,

क्योंकि दिल यही कहता है,

क्योंकि माँ तो माँ होती है।


आज भी याद जब आती है,

माँ सामने होती है,

बस सीने से लगाकर मुझे सोती है,

बच्चे तू ही मेरी अंगूठी का मोती है,

क्योंकि माँ तो माँ होती है।  


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