नारी
नारी
नारी के अपमान पे खल का
मस्तक धड़ से अलग करो
दूषित दुष्ट दुराचारी कलंकित
तुम पानी पानी को तरसो
ऐसे निर्लज नीच कायरों
के खातिर न सहृदय रहो
जो मर्यादा की लाज लांघ दे
तत-क्षण मृत्यु प्रदान करो
जगत सृजन की संज्ञा है जो
वो ही क्यों अपमानित हो
जो पोषित करती अर्ध विश्व को
तुम उसपर ही प्रहार करो
अरे! क्लीव कायर क्रूर
तुम अग्नि कमल से न खेलो
वह नारी ही जगदम्बा है
काली का ही स्वरूप है वो
तुम उसको अबला कहते हो
जो सकल विश्व को सबल करे
तुम उसको अबला कहते हो
जिसने तुममें हैं प्राण भरे
तुम उसको अबला कहते हो
जो शक्ति स्रोत शक्ति संचार करे
तुम उसको अबला कहते हो
जो सकल विश्व में पुण्य प्रकाश भरे
तुम दीपशिखा से हो अगर
वह ज्वालामुखि सा विस्फोट प्रखर
यह जीवन जिसपर आश्रित है
है पूर्ण विश्व जिसपर निर्भर
वह नारी ही उत्थान मार्ग
वह नारी है अविनाशी प्रकाश
वह मोद प्रमोद का कारण
वह है अतुलित जीवन उल्लास।