तेरे लिए देखा हमने जो सपना तुम से ही बन गई जिंदगी मेरी। तेरे लिए देखा हमने जो सपना तुम से ही बन गई जिंदगी मेरी।
नारी के अपमान पे खल का मस्तक धड़ से अलग करो। नारी के अपमान पे खल का मस्तक धड़ से अलग करो।
दीपशिखा तो कर्म निरत है क्यों जलता पागल परवाना। दीपशिखा तो कर्म निरत है क्यों जलता पागल परवाना।