जीवन का पौधा
जीवन का पौधा
यह जीवन ऐसा पौधा है, जो सुख के फूल उगाता है,
जब मुरझाते हैं वे सारे, दुःख ही बाकी रह जाता है।
इस पौधे के पत्ते जितने, उतनी जीवन की यादें हैं,
कुछ हरित-भरित कुछ पीत-पतित, कुछ किस्से हैं, कुछ बातें हैं।
कुछ काँटे भी हैंं पौधे में, जो हमको याद दिलाते हैं,
कि इनका रिश्ता फूलों से, सुख-दुःख भी सदा निभाते हैं।
देखो पौधे की शाखाएँ, कुछ सीधी हैं, कुछ टेढी़ हैं,
वैसे जीवन की राहें भी, इन जैसी टेढ़ी-मेढ़ी हैं।
फल जो भी आता पौधे में, इस जीवन का परिणाम है वह,
सुख-दुःख ही उसका कारण है, कहीं अमृत कहीं विषपान है वह।
यह पौधा देखो कभी-कभी, फूलों से कैसे लद जाता है,
और कभी अचानक आँधी से, यह ठूँठ-सा बन रह जाता है।
अपने जीवन के पौधे को, हम सींचें उस निर्मल-जल से,
सुख-दुःख के विकट थपेड़ों को, यह सह ले हिम्मत से, बल से।
यह निश्चय आज अभी कर लें, हम सुख के फूल खिलाएँगे,
और जीतेंगे इस दुनिया को, अमृत-से फल उपजाएँगे।