ज़िंदगी
ज़िंदगी
आ ज़िंदगी तुझे सवार दूं
तू बिखरी बिखरी अच्छी नहीं लगती
सूने से माथे पे तेरे खुशियों की बिंदियां लगा दूँ
तू उजड़ी उजड़ी सी अच्छी नहीं लगती
आ ज़िंदगी...
खाली खाली आंखों में चाहत के रंग भर दूं
तेरी सूनी सूनी आंखें अच्छी नहीं लगती
आ ज़िंदगी...
बिन मकसद के तू चलती जाती
आ तुझे मंजिल की पाजेब पहना दूं
लड़खड़ाती सी तू अच्छी नहीं लगती
आ ज़िंदगी...