पतझड़ से बहार
पतझड़ से बहार
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तेरे प्यार की किश्ती में सवार हो चली हूं मैं
पतझड़ सी थी मैं अब बहार हो चली हूँ मैं
एक नजर जो डाली मुझ पर
छाई अजब सी लाली मुझ पर
बेरंग सी थी मैं अब रंगदार हो चली हूँ मैं।
पतझड़ सी...
पावन हुई मैं छू कर तुझको
तेरी खुशबू गई है छू कर मुझको
नीरस सी थी मैं अब रसदार हो चली हूँ मैं।
पतझड़ सी…
कनखी से वो देखे मुझको
लाज न आए देखो उसको
नजर मिलते ही शर्मसार हो चली हूँ मैं।
पतझड़ सी…
