गाँव की पगडंडियों से
गाँव की पगडंडियों से
बाट जोहती सूनी गलियाँ,
खामोश़ खड़ी नदियों में नाव।
हम बदले, पर ना बदला है,
अपना प्यारा गाँव।
वही सुहानी हवा निराली,
मनमोहक पीपल की छाँव।
हम बदले, पर ना बदला है,
अपना प्यारा गाँव।
जिन गलियों में बीता बचपन,
पटक-पटक कर पाँव।
हम बदले, पर ना बदला है,
अपना प्यारा गाँव।
सुबह-सुबह हर रोज जगाती,
बंसी की धुन, कौवे की काँव।
हम बदले, पर ना बदला है,
अपना प्यारा गाँव।
यहाँ प्यार, सौहार्द बरसता,
आपस में है कोमल भाव।
हम बदले, पर ना बदला है,
अपना प्यारा गाँव।
रिश्ते यहाँ प्यार से बनते,
बिना लगाए दाँव।
हम बदले, पर ना बदला है,
अपना प्यारा गाँव।
यहाँ मदद नि:स्वार्थ करे सब,
बिना कुरेदे घाव।
हम बदले, पर ना बदला है,
अपना प्यारा गाँव।
दृष्य विहंगम, छटा अनुपम,
रात सजी तारों की छाँव।
हम बदले, पर ना बदला है,
अपना प्यारा गाँव।।