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Rita Jha

Inspirational

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Rita Jha

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कुष्मांडा माता

कुष्मांडा माता

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नवरात्र के चौथे पूजन का विधान,

शक्ति स्वरूपा माँ का करें आह्वान।

पुष्प धूप दीप नैवेद्य सह तैयार थाली,

माता है ब्रम्हांड को उत्पन्न करने वाली।


जब अस्तित्व नहीं था सृष्टि का इस जगत में,

देवी माता ने ही तब पूरे ब्रह्मांड की रचना की।

माता सृष्टि की आदि स्वरूपा, आदिशक्ति बनीं,

सूर्यमंडल लोक में निवास करने वाली ये शक्ति


अष्टभुजा देवी है हमारी कुष्मांडा माता,

धनुष-बाण, कमंडल,कमल-पुष्प सुशोभित

शंख, चक्र, गदा व सिद्धि दायक जपमाला

इनके हस्त शोभे अमृत कलश सौभाग्य वाला।


सिंहवाहिनी कुष्मांडा माता हैं बहुत कृपालु,

भक्ति से बढ़े यश, आरोग्य व बढातीं आयु‌।

उपासक सदा सिद्धि में निधि रूपी फल पावे, 

रोग शोक दूर हो, आयु, यश वैभव वृद्धि पाए।


कुम्हड़ नामक फल मैया को बहुत अधिक भाए

नवरात्र में सभी माँ को कुम्हड़ भी खूब चढ़ावें।

तेजस्वी व विवाहिता की पूजा चतुर्थी को करते

दही, हलवा खिलाकर फल व मेवा भेंट में दे।


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