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PANKAJ BHATT

Abstract Tragedy Inspirational

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PANKAJ BHATT

Abstract Tragedy Inspirational

आज दो पेड़ लगाकर, कर दो मेहरबानी

आज दो पेड़ लगाकर, कर दो मेहरबानी

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आज दो पेड़ लगाकर, कर दो मेहरबानी 

बदले में मिलेगा रोटी, हवा और पानी।


अभी अगर किसी की, तूने ना मानी 

तो फिर कैसे आएगी बरखा रानी।

 फिर ताउते दादा भी करेंगे, अपनी मनमानी 

यह बात घर के बाहर पड़े, खांटो ने है जानी।


आज दो पेड़ लगाकर, कर दो मेहरबानी 

बदले में मिलेगा रोटी, हवा और पानी।


मत कर तू, इतनी बेईमानी

और मत निकाल तू इनसे खर्चा, पानी।

जब न मिलेगा दारू, दवा और पानी

फिर तेरी होगी, इस दुनिया से रवानी।


आज दो पेड़ लगाकर, कर दो मेहरबानी 

बदले में मिलेगा रोटी, हवा और पानी।


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