मेरा पहला-पहला प्यार जीवन का आखरी इंतजार
मेरा पहला-पहला प्यार जीवन का आखरी इंतजार
प्रिया, मेरा पहला-पहला प्यार थी,
जीवन का आखरी,इंतजार थी,
वह पास होती तो, फूलों की बहार थी,
लाइफ में होती तो, खुशियो का संसार थी।
प्रिया, मेरे दिल की घंटियों की माला थी,
बंद प्यार का ताला थी,
दिन में एक बार दिख जाए तो, मिठाई का निवाला थी,
सामने बैठी रहती तो,अमृत का प्याला थी।
जीवन का आखरी, शिकार थी,
वो मेरे दिल की पहली, पुकार थी,
जवानी मे जीने का,आधार थी,
हर ग़म भुलाने की, पतवार थी।
जवानी में वो, हूर थी,
मेरी पहली,कोहिनूर थी,
मोहल्ले में बड़ी,मशहूर थी
प्यार का पहला, अंगूर थी।
वो आखरी, प्यार थी,
जवानी मे टपकती, लार थी,
होठों को छूती तो, सितार थी,
गर्मी में डर्मी कूल का, प्रहार थी।
मैं उसे और वो मुझे कबूल थी,
पर वो किसी गैर समाज की फूल और ऊँचे घराने की धूल थी ,
ये हम दोनों की आशिकी, किसे कहाँ कबूल थी,
उसका आत्महत्या करना सबसे बड़ी भूल थी।
जीवन में सबका,पहला प्यार होता है,
जो पहली पहली-पहली बार होता है,
और हर किसी को कहां नसीब होता है,
प्यार तो बस, प्यार होता है।।