अजीबो गरीब प्रेम कहानी मेरी
अजीबो गरीब प्रेम कहानी मेरी
नजरों से नजरे मिली
इशारों - इशारों में बात बढ़ी
ना उसने पूछा ना हमने
ना संग जीने मरने की बात हुई
वह घमंडी थी, मैं शर्मिला सा
दिल की बात कह न सके
तुम्हें मुझसे प्यार है कह न पाए
ना ही कोई ऐसी बात हुई।
अंत तक समझ न मेरे आया
वो अच्छी दोस्त थी सिर्फ ? या
बनना चाहती थी जीवनसाथी
इजहार हुवा ना इकरार हुआ।
वो थी शर्मीली, सीधीसादी
मगर लगती थी मुझे प्यारी
अजीबो गरीब प्रेम कहानी मेरी
थोडीसी मीठी - थोडीसी खट्टी।
दिन पर दिन गुजरते गये
वक्त के साथ, वो भी हवा हुई
होना क्या था दोस्तों ? वही हुआ
फिर एक बार हीर- रांझा की कहानी।
आज तक भूल न पाए उसे
यादों के सहारे जीना है अब
गाना है अब तो बस वीरानी
अजीबो गरीब प्रेम कहानी मेरी।