ज़िन्दगी नरक बन जाती है !!!!!
ज़िन्दगी नरक बन जाती है !!!!!
आज बात करते हैं अपने ऑफिस में काम करने वाले एक 70 वर्षीय बुज़ुर्ग का ,पूरा नाम तो नहीं पता लेकिन लोग उन्हें सर कहते हैं , काफी अच्छे और सच्चे विचार हैं उनके।कुछ पर्सनल प्रॉब्लम की वजह से उन्होंने शादी नहीं की। शुरुआत के तो दिन काफी अच्छे गुजरे होंगे ,सब कुछ ठीक था । किसी अच्छे मीडिया संस्थान में एडिटर की जॉब,नाम,इज्ज़त और पैसा सबकुछ तो था अच्छी ज़िन्दगी जीने के लिए । लेकिन क्या सच में ये सब काफी होता है जीने के लिए ?
वक़्त के साथ -साथ बिमारियों ने उनके बॉडी में अपना घर बना लिया , अगर शादी-शुदा ज़िन्दगी होती तो लाइफ भी काफी अलग होती ,क्यूंकि घर पर कोई तो होता जो उनके ख़ुशी और दुःख में उनका साथ देता और उनके सेहत का भी ध्यान रखता ।
शादी होने के बाद ज़िन्दगी में काफी बदलाव आता है, लेकिन उसमे ज्यादातर बदलाव अच्छे होते हैं । अगर आप बेचलर हो तो या तो आपको अपनी और नौकरी को लेकर घर से कई बार दूर रहना हुआ होगा ।।कई बार तो काफी मुश्किल होता है घर से दूर रहना। क्यूंकि समय कम होना ,या फिर आलस को लेकर हम खाना नहीं बना पाते,कई बार तो कुछ लोगों को खाना बनाना तक नहीं आता ।ऐसे में ज्यादातर लोग या तो बाहर खाना खाते हैं या घर पर ही काम वाली बाई को खाना बनाने के लिए रख लेते हैं।
लेकिन जिनकी शादी हो जाती है उन्हें तो पौष्टिक खाना बनाकर खिलाने वाली वाइफ मिल जाती है जो उनकी प्रोटीन ,विटामिन्स और कारबोहाईड्रेट्स का ध्यान रखती है, लेकिन जिन्होंने जिद में शादी नहीं की , उन्हें अपनी ज़िन्दगी कुछ समय के बार बोरियत लगने लगती है ,दिन भर तो ऑफिस में काम में बिजी होकर पता नहीं चलता लेकिन धीरे धीरे ऑफिस का समय भी काटने को दौड़ता है ,थक हार कर जब रात को घर आते हैं,घर नहीं सिर्फ एक मकान क्यूंकि नारी के बिना कोई घर घर नहीं होता ,होता है तो सिर्फ एक मकान।
रात को जब थक हार कर घर जाओ तो कोई नहीं होता उस मकान में ,कोई नहीं है जो आपकी सुबह की चाय या रात के खाने पर इन्तेजार करे।कोई नहीं है जिसके साथ आप ऑफिस के बारे में या अपनी ज़िन्दगी के बारे में बातें कर सकें।जब रात को रूम में अकेले खाने की प्लेट लेकर बैठने पर आँखों में आंसू आ जाते हैं ।"आखिर क्यों मैंने ऐसी ज़िन्दगी बना ली।" आप लाख लोगों के सामने खुश होने का नाटक कर लो ,लाख अपने यंग होने के किस्से सुना लो कि मैं इतने शराब और सिगरेट पीता हूं लेकिन आपके पीछे का छिपा दुःख और आपके अन्दर दम घुटती ज़िन्दगी और वो आंसू सबको समझ आते हैं ।आप लाख छिपाने की कोशिश करो, लेकिन फीलिंग्स छिपाई नहीं जा सकती। वो हमारे सर की खास बात यह है की वो किसी को बताते नहीं कि वो दुखी हैं ,लेकिन सबकुछ होने के बाद भी सवाल यह है कि, कौन है आपका ? या कौन है जो आपके साथ सेलिब्रेट करे ?कौन है जिसके साथ आप बातें शेयर करेंगे?
अगर बातें शेयर नहीं करेंगे तो अन्दर ही अन्दर घुटते रहेंगे ,घुटते –घुटते इन्सान और बीमार हो जाता है ,वैसे तो सर को शायद हार्ट और किडनी की दिक्कत पहले से है लेकिन इधर कुछ दिन से वो और भी ज्यादा परेशान और चुप- चुप से लगते हैं और थोड़े चिड़चिड़े भी ,थोड़ी थोड़ी बात पर नाराज होना उनका काम है।
आज जो हुआ वो काफी हिला देना वाला था हमारे लिए ,वह अपनी परवरिश के लिए एक अनाथ आश्रम में गये थे,ताकि उन्हें सही से खाना और सही से देखभाल मिल सके,लेकिन आश्रम वाले ने साफ उन्हें रखने से मना कर दिया यह बोलकर की अनाथ आश्रम का एक नियम है यहाँ हम उन्हें ही रखते है जिनका कोई अपना सगा हो।उनके डाक्यूमेंट्स यहाँ रखने होते है।ये काफी गंभीर मामला था लेकिन सबसे बड़ा सवाल यहाँ है क्या की अब उस बुजुर्ग इंसान का क्या होगा जो अपनी ख़राब स्थिति को लेकर आश्रम तक में रहने को तैयार है।आज मैं खुद भी हैरान परेशान हूं कि क्या शादी सच में जरूरी है या कोई और भी रास्ता है जिससे इन्सान खुश रह सके बिना शादी किये भी ।
मेरी मानो तो शादी करो , पैसा कमाओ ओर देश सेवा करो , महान संस्कारवान बच्चे पैदा करो जो देश चलाये । सन्यास केवल मोदी जैसे विशेष लोगों के लिए है ,और डिवोर्स अमेरीकी चीज है।ज्यादातर भारत के लोग तो दिल से रिश्ता निभाते हैं, Love convert to arrange विवाह बढ़िया है , और इतना घबड़ाओ नहीं, विवाह प्रेम और सम्मान की चीज़ है। और बुद्ध ही बनने चले हो तो कोई न रोक सकेगा । फिर तो भारत तुम्हारी माँ और परिश्रम पिता , तभी जी सकोगे अकेलों का जीवन कठिन ही होता है । 80% सफल और प्रसिद्ध व्यक्ति शादीशुदा होते हैं । सफलता तुम्हारी मेहनत पर निर्भर करती है , शादी पर नहीं ।
