गहरे रिश्ते थे कमजोर लोगो से
गहरे रिश्ते थे कमजोर लोगो से
साल जा रहा है। साल आते ही है जाने के लिए। आते वक़्त बंद मुट्ठी और जाते वक़्त खुली मुट्ठी।" कभी कोई वक़्त किसी दहलीज पर सारी रात गुजारता है तो कहीं चंद लम्हे दिन के उजाले में खुले आसमान में उड़ते हैं - जैसे ये जीवन कुछ भी नहीं - कुछ पलों का आना और फिर चला जाना है।" साल भी अजीब होता है - कभी बीच साल छोड़ नहीं जाता - हमेशा अपनी उम्र बिता के जाता है - कभी ऐसा नहीं हुआ - जैसे जून में ही साल ख़त्म ....हमेशा दिसंबर के अंतिम दिन तक साथ देता है और फिर एक पल में खत्म ...खुद को ख़त्म कर हमें नए साल के हाथ में हमें सौंप देता है ...और फिर न पलट के देखने के अंदाज़ में ...मुस्कुराता निकल जाता है, यूँ तो विदाई से ज्यादा दुखदायी कुछ भी नहीं होता, फिर भी साल की विदाई भी अजीब होती है। अंदाज़ ही निराला है, खुद के जाने के साथ सपनों से भरा एक नया साल को हमारे सामने खड़ा कर देता है। हम पल भर के लिए उस नए साल को देखते हैं और, ये साल उसी पल में हमसे हमेशा के लिए दूर निकल जाता है।
इस 2019 ने बहुत कुछ दिया कभी अच्छी यादें तो कभी एकदम बर्दाश्त से बाहर हालात ....कई बार लगा सबकुछ पा लिया और एक झटके में सबकुछ खो जाने का एहसास। कई लोगों से बहुत कुछ सिखने को भी मिला तो कई लोगों ने आँखें खोल दी और फिर बात करे अपनी ज़िन्दगी जीने की तो, हालात कई बार काफी बुरे थे, लेकिन घर वालों का साथ और कुछ प्यारे दोस्तों की दोस्ती ने मुझे टूटने नहीं दिया और अगर टूट भी जाती तो बिखरने नहीं देते मेरे चाहने वाले। काफी कुछ लिखा ..काफी ट्रिप्स की, काफी कुछ खोया और पाने को भी था बहुत कुछ। किसी की गलतियों को मैं याद नहीं रखती और एक बार अगर धोखा मिल जाए तो उस इन्सान को कभी मौका नहीं देती, कुछ खास दोस्त ऐसे भी है जिन्हें बिना कहे सबकुछ समझ आ जाता है और कोई जानते हुए भी अनदेखा कर देता है, लेकिन एक पेरेंट्स हीं है जिन्हें आपकी आवाज़ सुन कर पता चल जाता है आप खुश हो या दुखी, खाना खाया या नहीं ....लाख झूठ बोलो लेकिन वो आपकी आवाज़ से पहचान लेते है, आखिर पेरेंट्स हीं तो है जो लाख गलतियों के बाद भी हमें अपना लेते है नहीं तो दोस्तों को तो बस एक गलती का बहाना चाहिए साथ छोड़ जाने के लिए और जाने वाले को रोक भी कहाँ पाया है कोई, जिसे जाना है जाये जिसे रहना है रहे। अब सच में “कोई फर्क नहीं पड़ता” कुछ लोग पास रहकर भी दूर होते है और कुछ लोग दूर रहकर भी पास।
बस साल के अंत में यही कहना चाहूंगी थैंक्स तो माय पेरेंट्स ,फॅमिली एंड फ्रेंड्स ....जिंदगी जियो और जीने दो...कभी रुकना नहीं कभी थकना नहीं... और मेरी गलतियों को माफ़ कर दो...
और अंत में बस इतना कहना चाहूंगी, जिन्दगी के बारे मे इतना ही लिख सकी हूँ मैं, कुछ गहरे रिश्ते थे कमजोर लोगो से ...!!और बात ना करने से मोहब्बत ख़त्म नहीं होती।
अलविदा ....2019....
