ये इश्क है
ये इश्क है


हेलो दोस्तों आप पढ़ रहे हैं कहानी मेरा पहला प्यार पंकज और कंचन की।
पंकज और कंचन दोनों एक एक ही स्कूल में ही थे ।
कंचन पढ़ाई में बहुत ही होशियार थी और हर साल स्कूल में टोप करती थी।
पंकज थोड़ा बहुत पड़ता था लेकिन वो भी हर साल दूसरे नंबर पर आता था।
इस तरह दोनों में दोस्ती हो गई और वो दोनों एक साथ रहने लगे एक दूसरे को स्कूल की प्रोब्लम हल करना एक दूसरे के साथ घूमना फिरना
एक साथ टाइम बिता रहे थे तभी उनकी दोस्ती धीरे धीरे प्यार में बदल रही थी । ऐसे ही एक साल का सफर दोनों ने पूरा कर लिया।
अब स्कूल में कुछ दिनों की छुट्टी थी तो दोनों एक दूसरे से फोन पर बातें करते थे और कभी कभी मिलने के लिए गांव के मंदिर में आ जाते थे।
इसी तरह छुट्टियां भी खत्म होने लगी दो दिन बाद स्कूल खुला और सभी बच्चे स्कूल आ गए।
पंकज और कंचन आज भी क्लाश के बाद पार्क में बैठे बातें कर रहे थे
कंचन उससे कह रही थी क्या तुम मुझसे शादी करोगे कभी मुझे छोड़कर भाग मत जाना तो अभिषेक ने उसे समझाया कि वो उसे छोड़कर नहीं जाऊंगा।
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था स्कूल में एक नई लड़की आई थी जिसका नाम था मुस्कान जो बहुत ही होशियार और सुन्दर थी।
पंकज उसे देखकर कंचन को भुलाकर मुस्कान के बारे में सोचने लगा उसने मुस्कान के साथ दोस्ती कर ली। और अपना ज्यादा समय उसी के साथ ही बिताने लगा।
पर यह बात कंचन को बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी तो उसने अपनी सारी बात अपनी बचपन की सहेली को बताई तो उसने कहा कि यह लड़के ऐसे ही होते हैं शादी का वादा किसी से और शादी किसी और से
तो कंचन ने कहा नहीं मेरा पंकज ऐसा नहीं है उसने मुझसे शादी करने का वादा किया है।
आज स्कूल का आखिरी दिन था क्योंकि बारहवीं कक्षा का आखिरी टेस्ट था
आज कंचन का जन्म दिन था सबने उसे पहले ही विश किया लेकिन आज पंकज नहीं दिखाई दे रहा था थोड़ी देर में पंकज मुस्कान के साथ क्लास में आया और जाकर अपनी सीट पर बैठ गया।
स्कूल के बाद आज कंचन ने पंकज को गांव के बाहर बने मंदिर में बुलाया जहां वो पहले मिलते थे। कंचन ने पंकज से कहा क्या तुम मुझसे अब प्यार नहीं करते तो अभिषेक ने कहा नहीं मैं तुमसे परेशान हो गया हूं और तुम्हारे साथ नहीं रह सकता इतना कहकर वो जाने लगा तो कंचन ने कहा मैं तुम्हें नहीं छोड़ सकती में तुम्हारे बिना मर जाऊंगी और हां मैंने अपने जन्मदिन पर सिर्फ हमारे लिए एक पार्टी रखी है शाम को आ जाना वरना मैं अपनी जान दे दूंगी इतना कहकर वो अपने घर चली गई और घर जाकर अपने कमरे में बैठ कर रोने लगी शाम को वह पंकज का इंतजार कर रही थी पंकज ने कंचन के लिए बहुत सारा सामान खरीदा और कंचन के घर जान
े के लिए निकल गया। कंचन पंकज को फोन कर रही थी पर फोन साइलेंट होने के कारण पंकज ने ध्यान नहीं दिया तो कंचन ने जल्द बाज़ी में आकर खुद को ही खत्म करने का सोचा पंकज ने अपनी गाड़ी कंचन के घर से थोड़ी दूर खड़ करके पैदल ही सारा समान लेकर जैसे ही अन्दर आया उसने देखा कंचन ने अपने हाथ में चाकू ले रखा वो कुछ करता उससे पहले कंचन ने अपनी कलाई काट ली और दो तीन दिन से भूखी होने के कारण बेहोश हो गई । पंकज ने सारा सामान एक तरफ फेंक कर कंचन के पास जाकर बैठ गया और अपनी जेब से रुमाल निकालकर कंचन की कलाई पर बांधा।
उसने कंचन को गोद में उठाया और हॉस्पिटल ले गया।
डाक्टर ने कहा कि कंचन ज्यादा खून न बहने कारण ठीक है इतना सुनते ही वो खुश हो गया डॉक्टर ने कहा इसे एक घंटे में होश आ जाएगा । पंकज जाकर कंचन के पास बैठ गया थोड़ी देर में ही कंचन को होश आ गया यह देखकर पंकज ख़ुश था कंचन ने आंखें खोली तो देखा कि पंकज उसके सामने बैठा था यह देखकर वो बोली तुम यहां क्या कर रहे हों लेकिन पंकज ने गुस्से में आकर कहा क्या पागलपन है ये तुम्हारा अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो मैं कैसे जिता तो कंचन ने कहा मैंने यह सब अपने प्यार के लिए किया है मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकती।
कंचन को कुछ याद आया वो बोली तुम तो मुझसे प्यार नहीं करते तो तुम्हें मेरी चिंता क्यों है
इतना सुनते ही जिसने आज से पहले कंचन की मर्जी के बिना उसे हाथ तक नहीं लगाया था वो कंचन को kiss करने लगा कंचन ने पंकज का पूरा साथ दिया अलग होने पर पंकज ने कहा देख लिया कितना प्यार करता हूं। कंचन शर्म से लाल हो गई और हां में सर हिला कर हां कहा लेकिन वो मुस्कान तो पंकज ने कहा वो तो मेरी दोस्त हैं मैं उसे अपनी बहन की तरह मानता हूं। वो तो मैंने तुम्हें परेशान करने के लिए उसके साथ रहता था।
कंचन ने कहा क्या तुमने मजाक किया था कि तुम मुझसे प्यार करते तो पंकज ने हां में सर हिला दिया
और अपनी जेब से एक अंगूठी निकाल कर बोला क्या तुम मुझसे शादी करोगी जैसे ही कंचन ने हां में सर हिलाया तो पंकज ने अंगूठी कंचन की उंगली में डाल दी।
अब कंचन ठीक हो गई कुछ ही दिनों बाद कंचन और पंकज की शादी होने वाली है इस लिए कंचन अब पंकज के घर पर ही रहने वाली थी क्योंकि कंचन के माता-पिता की मौत उसके बचपन में ही हो गई थी और वो अपनी नानी मां के घर रहती थी वो भी पिछले साल भगवान को प्यारी हो गई। इस लिए पंकज उसका पूरा ध्यान रखना चाहता था।
कंचन के ठीक होने के बाद दोनों की शादी हो गई और दोनों अपनी जिंदगी खुशी से जीने लगे।
इस तरह स्कूल में शुरू हुआ प्यार शादी के बंधन में बंध कर पूरा हो गया।