यादगार खूबसूरत लम्हा
यादगार खूबसूरत लम्हा
तुम नदी के बहाव की तरह सरल निश्छल हो ये तो मुझे उस पहली मुलाक़ात पर ही अंदाज़ा लग गया था जब तुम घर आए थे और दो अलग किनारे एक
हुए थे हमारी शादी पक्की जो हुई थी पर इतने शरीफ़ हो ये आज पता चला,कुछ यही चल रहा था महक के मन में बस स्टैंड पर खड़े खड़े अंबर के ख़्याल में डूबे हुए,एक तरफ़ ग़ुस्सा था और वहीं दूसरी तरफ़ खिंचाव था सोच में थी हम दो अलग किनारे क्या साथ चल पाएँगे ?पर क्या एसा आज के लड़कों से जुदा लड़का भी मिलेगा भला,कि तभी बाइक के हॉर्न की आवाज़ आती है और अंबर सामने होता है उसे देख महक विचारों की नींद से जागती है और उसके चेहरे परअलग ही ताजगी होती है!
तो शादी पक्की होने के सात महीने बाद ये पहली और अंतिम मुलाक़ात थी महक अंबर की! क्यों कि बस अगले पन्द्रह दिनों में शादी जो होने वाली थी।
तो यूँ तो बातें होती थी दोनों की,कभी मिनटों कभी घंटो यहाँ भी शुरुआत महक ने ही की थी और सोच में थी कि किस लोक से आया है येबन्दा,क्या आज के समय में भी कोई होता है ऐसा! फिर बातों के सिलसिले में मिनटों करते थे अंबर जी और घंटो सुनते थे महक को,क्योंकि इतने गुणों के बाद जनाब अलपभाषी भी थे जो महक को बिल्कुल पसंद न था पर सोचा ग़र दोनों बोलेंगे तो सुनेगा कौन और यहीसोच नाव आगे बढ़ गई पर आज तो उसकी आँखें फटी रह गई इतना भला लड़का भी नहीं माँगा था प्रभु !
आज महक को दूसरे शहर जाना था अपनी दीदी के पास शादी की शापिंग के लिए;कि तभी अंबर का कॉल आया उसने जैसे ही सुना तो उत्साहित हो पूछ बैठा महक से"क्या हम मिल सकते है?"
महक तो संस्कृत पर आज की लड़की थी उसने कहा हाँ पर देखती हूँ क्यों कि पुराने लोग इन चीजों को नहीं अपना पाएँगे पता था महक कोपर उसका भी मन तो बहुत था तो उसने सोचा चलो देखते हैं जो भी होगा और अगली सुबह वो भैया के साथ निकल गई बस स्टैंडको;साथ ही अंबर को कॉल भी कर दिया कि निकल गए!महक को अंबर के स्वभाव अनुसार लगा था कि भैया के साथ हूँ तो अब न ही आए ,वो रिक्शे पर जा रही थी कि अंबर का कॉल आया कि बहुत अच्छी लग रही हो,महक की धड़कनें अचानक तेज हो गई!
उसने चारों तरफ़ देखा अरे!ये क्या अंबर तो एकदम फ़िट स्मार्ट लग रहा था मतलब मेरी बातें सुनता था,खुद की अहमियत को सोच मनही मन मुस्कुरा रही थी महक,काफ़ी बदला हुआ दिख रहा था अंबर और सफ़ेद जैकेट में तो अंबर ने मोह लिया था महक को
फिर बस स्टैंड आया और अंबर,भैया के सामने खड़ा था ; महक तो डर की वजह से चुपचाप मिलना चाह रही थी पर अंबर तो बड़ा निडर लगा जो बेझिझक भैया के सामने खड़ा बात कर रहा था!भैया भी एक पल के लिए चौंक गए थे फिर समझ गए मिलने आया है तो महक और भैया को लगा शायद अंबर बाइक से महक को लेजाएगा ,तो वो उन दोनों को अकेला छोड़कर घर चले गए!
महक ख़ुशी से फूली नहीं समा रही थी आख़िर ऐसा लड़का ही चाहा था उसने,पहले तो बातो से उसे वो रोमांटिक ही नहीं लगा था,कुछ ज़्यादा ही शरीफ़ था
पर ये क्या अंबर ने कहा तो चलूँ?
महक के शरीर पर तो मानो सॉप ही लोट गया हो पर वो भी बेशर्म होकर नहीं बोल सकती थी कि चलो साथ तो फ़ीलिंग छिपा उसने बोला '"अरे मुझे लगा हम समय बिताएँगे" पर सीधा अंबर नहीं समझा फिर तो आज की महक ने सोचा ये लम्हा चला न जाए तो उसने कहा हम भी चल सकते हैं चाहो तो,तब अंबर का उत्साह देखने लायक़ था!
अंबर ने कहा "अरे हाँ मैंने इतना सोचा ही नहीं पर घर पर सब पूछेंगे और मैं बाइक रखकर आता हूँ ।" महक ने मन में सोचा हाय ये तो मुझसेभी ज़्यादा संस्कारी है पर उसने सोचा शायद एक्टिंग कर रहा है,चलो शादी के बाद देखते हैं क्यों कि आजकल ऐसा तो शायद ही कोई होता है!फिर अंबर महक को छोड़ घर गया ओर इधर महक बस स्टैंड पर इतंजार कर रही थी,पर पेट में तितलियाँ उड़ रही थी पहली दफ़ा जोमिली थी अंबर से "अरे ये क्या अंबर अपने भाई के साथ बाइक पर ही आ रहा है उसे थोड़ी शर्म तो आई पर देवर ही है इतना तो चलता है!"
फिर अंबर को छोड़ वो चला गया अब दोनों बेहद खुश थे बस में बैठे और अंबर ने धीरे से महक का हाथ अपने हाथ में लिया,तब जाकर महक की साँस में साँस आई कि हां लड़का आज वाला ही है!फिर से उसे गुदगुदी होने लगी और महक ने भी अपना सर अंबर के कांधे पर रख दिया और बातें करने लगे
उस लम्हे दोनों सारी दुनिया भूल से गए बस के लोगों का भी फ़र्क़ नहीं पड रहा था और महक ने कहा हम तो साथ होने वाले हैं तो किस बात का डर
बातों में एक घंटा कब निकल गया पता ही न चला!
फिर अंबर ने एक जेनटलमेन की तरह कहा। "चलो घर तक छोड़ देता हूँ,महक ने सोचा इसे तो बिलकुल डर नहीं लगता;अलग सा तो है और दोनों चलने लगे तो महक ने अंबर का हाथ थाम लिया ,कुछ दूर चलने के बाद अंबर ने कहा रोड पर ऐसा अच्छा नहीं लगता तो महकने हाथ छोड़ दिया और फिर वही सवाल ग़लत क्या है इसमे ?
तो अंबर ने समझाया समाजिकता और वो भी बड़े प्यार से,महक को तो आज वो बहुत ही भी रहा था फिर रास्ते में अंबर ने महक को लस्सी पिलाई तो तुरंत महक ने चखने की पेशकश कर दी ; अंबर को महक की बचकानी हरकतों पर प्यार और हंसी दोनों आ रही थीफिर उसने एक घूँट लिया और महक को पीने को कहा महक अंबर को देखते हुए पी रही थी और अंबर को थैंक्यू कहा गालों को छूते हुए तो अंबर ने भी प्यार से गाल पर हाथ रखा और कहा ये दिन ये लम्हा कभी न भूल पाऊँगा थैंक्यू टी यू ,तुम्हारी वजह से आज का दिन इतना ख़ूबसूरत हो पाया और फिर दोनों मन में मुसकाते हुए अपनी अपनी राह को चले गए शादी की तैयारी जो करनी थी और ये लम्हा यादगार बन गया !

