Ekta Srivastava

Tragedy

4.5  

Ekta Srivastava

Tragedy

वो लड़की

वो लड़की

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क्या ये वही लड़की है रिया जो......आश्चर्य से किसी ने पूछा। वो लड़की जिससे सब दूर भागते थे आज उसकी हर तरफ वाहवाही हो रही है । वो लोग जो कल तक उससे कटते थे आज उससे अपनी कोई न कोई रिश्तेदारी बता रहे है। जो उसके पास तक खड़े नहीं होना चाहते थे आज उसके साथ खड़े होकर सेल्फी ले रहे हैं । समय बहुत बलवान होता है जिसका वक्त होता है उसकी चर्चा हर तरफ होती है। कौन है वो लड़की ?क्यों सब उससे दूर भागते थे? आज हर तरफ उसकी ही चर्चा क्यों है ? अगर आपको इन प्रश्नो के उत्तर पाना है तो कहानी के अन्त तक पूरी कहानी पढ़नी पड़ेगी।


एक बेहद प्यारी सी , तीखे नैन नक्श वाली थी वो। देखने वाले बस देखते ही रह जाए, ऐसा सुन्दर, शान्त स्वभाव, कोमल चित्त वाली थी वो लड़की ।

बचपन से ही गरीबी में पली थी वो। मॉ ~ बाप मेहनत मजदूरी करके किसी तरह से उसे पालते थे । मॉ लोगो के घर का काम करती थी तो बेटी भी कभी कभी अपने मॉ का हाथ बटाने अपनी मॉ के साथ जाती थी , मगर वहॉ मालिकों के बच्चों को देखकर मॉ से जिद करती उनके तरह के खिलौने खाने इत्यादि की। इसलिए मॉ उसे ले जाना बंद कर दी ।


अब रिया घर के काम काज में निपुण हो गई थी मॉ फिर भी बाहर जाकर काम करती थी लेकिन समाज की मनोदशा से भलीभाति परिचित होने के कारण अपनी बेटी को किसी के घर नहीं भेजती थी ।

एक दिन उसकी तबियत बहुत ज्यादा खराब हो गई, इसलिए न चाहते हुए भी उसे रिया को काम करने भेजना पड़ा । वो एक साहब के घर गई, जिनका समाज में बहुत मान सम्मान था । लोगो की नजर में वो बहुत सज्जन आदमी थे। लेकिन इन जनाब का एक दूसरा भी चेहरा था जिससे समाज वाकिफ नही था । खैर छोड़िये जनाब हमे उनके चेहरे से क्या लेना देना । जब रिया गई उन जनाब के घर तो संयोग से उनकी पत्नी भी थी, वो जनाब अपनी पत्नी की नजर में में हीरो बनकर रहना चाहते थे इसलिए उसके सामने कभी कोई गलत हरकत नहीं करते थे, तो वहाँ उसका कुछ बुरा नहीं हुआ तो उसकी माँ उसे उस सज्जन पर विश्वास करके उनके घर अपने बेटी को ही काम पर भेजने लगी, उन सज्जन की पत्नी रिया को थोड़ा बहुत पढ़ना लिखना भी सीखा देती थी तो जैसे जैसे रिया बड़ी होती गई बहुत कुछ पढ़ना लिखना सीख गई । उनकी पत्नी रिया को अपने कपड़े भी दे देती थी । अब रिया युवावस्था में प्रवेश कर रही थी और दिन प्रतिदिन निखरती जा रही थी । एक दिन एक दुर्घटना घट गई जब रिया उन साहब जी के घर काम करने गई तो मैडम जी यानी उनकी पत्नी घर पर मौजूद नहीं थी । वो सज्जन रिया को एक बहुत खूबसूरत ड्रेस गिफ्ट किये, तो उसने वो ड्रेस खुशी खुशी ले लिया क्योंकि ये उसके लिए कोई नई बात नहीं मैडम जी अक्सर उसे अपनी पुरानी ड्रेसेज दे दिया करती थी अब उसने उन कपड़ो को रिया से पहनकर दिखाने की जिद करने लगा । वो सज्जन उसे बहुत अजीब तरह से देख रहे थे । जब वो बेचारी उस दुष्ट इंसान की दृष्टिकोण समझ गई तो भागने की कोशिश की मगर उस दुष्ट इंसान ने उस बेचारी का हाथ खींचकर अपनी उदारता का हिसाब माँगने लगे उस बेचारी से, जब वो गिड़गिड़ाते हुए यह बोली कि साहब मैं कैसे चुका सकती हूँ , तो उस इंसान ने उस बेचारी को गलत तरीके से छूने की कोशिश की, उस इंसान से बचने के लिए रिया फर्श पर पीछे की तरफ सरकती रही अचानक उसके हाथ में एक गमला आ गया और उस गमले से उस लड़की ने उस दुष्ट इंसान पर पूरी ताकत लगाकर वार किया । उस दुष्ट इंसान का सर फट गया और खून निकलने लगा, तभी उस दुष्ट इंसान की पत्नी अचानक से आकर पहुँच गई । उस दुष्ट इंसान ने अपनी पत्नी को देखते ही चिल्लाने लगा,"ये लड़की मुझसे तुम्हारा ये ड्रेस मांग रही थी ,तो मैने मना कर दिया मेरे मना करने पर बोलने लगी कि साहब अगर आपने मुझे ये ड्रेस नहीं दिया तो मै मैडम जी से कह दूँगी कि साहब ने मेरे साथ गलत करने की कोशिश की और मेरे बार बार मना करने पर इसने मेरे सर पर ये गमला ही फोड़ दिया। कैसी बाई रखती हो तुम जो तुम्हारे घर पर ही बुरी नज़र रखता हो"। वो मैडम रिया के हाथ में गमला भी देखी थी और ड्रेस भी इसलिए उन्हें अपने पति के बात पर यकीन हो गया, बोलने लगी, "क्यों, आखिर तुमने ऐसा क्यों किया । मैने तुझे प्रेम दिया, अपने कपड़े भी पहनने को दिया और तुमने एक कपड़ा न मिलने पर मेरे पति की ये हालत कर दी। एहसान फ़रामोश " और भी बहुत कुछ उल्टा सीधा बोलने लगी वो मैडम जी रिया को । रिया ने बहुत सफाई देने की कोशिश की मगर उसकी किसी ने न सुनी । मैडम ने रिया को गिरफ्तार करवा दिया । रिया की माँ दर दर भटकी मदद माँगने, मगर कोई भी उसकी मदद को तैयार न हुआ, बल्कि सब उसकी माँ को ही उल्टा सीधा सुनाने लगे उससे दूर भागने लगे । रिया ने अपनी माँ को सारी सच्चाई बताई थी और उसकी माँ कितना भी चिल्लाती मगर किसी को भी उसके बात पर यकीन नहीं होता ।

"कैसी कैसी बेटी पैदा कर देते हैं लोग अगर पाल नहीं सकते तो पैदा ही क्यों करते हैं," किसी ने ताना मारते हुए कहा ।

"इनका क्या भरोसा, हो सकता है ये खुद ही अपने बेटी को ऐसा करने के लिए कहती हो ," दूसरे ने कहा ।

 "इनसे दूर रहो भाई, इनका क्या भरोसा, कल को हम पर भी कोई इल्जाम लगाने लगेंगे," तीसरे ने कहा ।

ऐसी न जाने कितनी बाते सुनना पड़ा रिया की माँ को अपनी बेटी को बचाने के लिए, मगर उसे कोई मदद नहीं मिली । अन्ततः कोर्ट से उसे एक वकील मिला, मगर वो भी रिया को जेल जाने से नहीं बचा पाया ।

माँ लोगों के ताना सुन सुनकर थक गई और एक दिन उसने आत्महत्या कर ली । इन परिस्थितियों से उबरने के लिए और अन्याय के खिलाफ लड़ने के जज़्बे को लेकर उसने पढ़ना शुरू कर दिया । उसने वकील बनने की ठान ली और दिन रात एक करके पढ़ना शुरू कर दिया ।

वहॉ उसे खाने पीने का होश नहीं रहता बस पढ़ाई की ही सुध लगी रहती, न किसी से लेना न किसी को देना , बस सिर्फ पढ़ना और बस पढ़ना ।

जेल में रहकर रिया की मुलाकात एक पढ़ी लिखी लड़की मिली जो वकील बनते बनते रह गई उसने रिया की पढ़ाई में बहुत मदद की । रिया वकालत पास करने वाली वो लड़की बन गई जो पूरे प्रदेश में टाप पर थी । जेल से निकलते निकलते रिया भी वकील बन गई और रिया की मदद करने वाली लड़की भी ।

अब दोनों लड़कियाँ मिलकर लड़कियों के साथ होने वाले अन्याय के खिलाफ लड़ने लगी । पहले तो उनका साथ देने वाला कोई नहीं मिलता , वो लोगो की मदद करती मगर उन्हें पैसे भी बहुत कम मिलता था, कभी कभी नहीं भी मिलता । उनको पैसे की कमी होने लगी, लेकिन वो पूरा दिल लगाकर लड़ती क्योंकि उन्होंने अत्याचार के खिलाफ जंग छेड़ रखा था और अत्याचार के खिलाफ बहुत सारा गुस्सा भी भरा हुआ था उनके दिल दिमाग में । वो पूरे जुनून से अपना हर केस लड़ती और हर केस जीतती गई, और उन लड़कियों को एक बेहतर सुविधा भी दिलाती जिससे वो लोग भी खुद के पैरो पर खड़ी हो सके । कई बार गलत लड़कियों से भी उनका पाला पड़ा और वो और ज्यादा चौकन्ना होकर लड़ने लगी पहले पूरी जाँच पड़ताल करती और अगर केस सही इंसान का हो तभी उसमें अपना हाथ डालती, जिन लड़कियों की उसने मदद की थी उसमें से बहुत सी लड़कियाँ इस काम में उसकी मदद करने लगी । धीरे धीरे वो फेमस होती गई मीडिया में भी उनकी जमकर बड़ाई होने लगी और (जैसा कि हम जानते हैं कि मीडिया हमें जो दिखाती है हम वही सही समझने लगते हैं ) मीडिया के साथ देने पर लोग भी साथ देने लगे और धीरे धीरे दोनों फेमस हो गई । अब हर कोई उन दोनों की तारीफ़ करने लगा ।

इस प्रकार रिया जो की एक गरीब परिवार की लड़की थी, पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो गई और लाखों की आदर्श बन गई । वकालत के साथ साथ समय मिलने पर वो समाज सेवा का भी काम करती, और एक दिन का समय निश्चित रूप से निकालकर वो अनाथालय भी जाती वहॉ जाकर ये चेक करती कि बच्चों की सही ढंग से परवरिश होती है कि नहीं । चूकि रिया एक बहुत नामी वकील थी इसलिए अनाथालय वाले भी पूरा ध्यान रखते थे कि कभी कुछ भी गलत न हो पाये नहीं तो वो भी जानते थे कि उनका बहुत बुरा हश्र हो सकता है ।

इस तरह रिया एक प्रसिद्ध वकील, प्रसिद्ध समाजसेवी और लाखों की आदर्श बन गई । जो लोग उससे और उसकी माँ से दूर भागते थे आज उसकी तारीफ़ में बड़ी बड़ी कसीदे पढ़ते उससे तरह तरह के रिश्ते जोड़ते ।

सच कहते हैं कि डूबने वाले का कोई सहारा नहीं होता और उगने वाले से कोई किनारा नहीं करता!


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