Nisha Nandini Bhartiya

Drama

5.0  

Nisha Nandini Bhartiya

Drama

वंदे मातरम्

वंदे मातरम्

4 mins
498


आज कल्याण और अनवर में "वंदे मातरम्" और "भारत माता की जय" इन शब्दों लेकर बहस छिड़ गई। ऑफिस में लंच का समय था। सभी लोग अपने-अपने मोबाइल पर भारत और पाकिस्तान का रोमांचक मैच देख रहे थे। भारतीय खिलाड़ियों का खेल बहुत अच्छा चल रहा था। रन पर रन बन रहे थे। चौका छक्का लगते ही सभी लोग खुशी से "वंदे मातरम्" और "भारत माता की जय" बोल रहे थे।


अनवर भारत के खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन से बहुत खुश था। तालियां बजाकर भारत की जीत का जश्न मना रहा था। पर "वंदे मातरम्" और "भारत माता की जय" नहीं बोल रहा था। कल्याण और अनवर बहुत अच्छे मित्र थे। दोनों एक ही ऑफिस में काम करते थे। एक साथ ऑफिस आते तथा एक साथ घर जाते थे। कभी अनवर अपनी गाड़ी ले लेता था तो कभी कल्याण। दोनों एक साथ गाड़ी में गपशप करते हुए ऑफिस जाते थे। दोनों ही एक कंपनी में सीनियर पोस्ट पर थे। दोनों में बड़ा प्यार था।


दोनों के परिवारों में भी अच्छी मित्रता थी। दोनों के परिवार मिल-जुलकर सभी भारतीय त्यौहारों को मनाते थे। कल्याण ईद पर अपने परिवार के साथ सेवैयाँ खाने अनवर के घर जरूर जाता था और अनवर होली, दिवाली पर अपने परिवार के साथ कल्याण के घर जाकर गले मिलता था। तरह-तरह के पकवान खाता था। दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे थे। उनके बच्चों का भी आपस में बहुत प्रेम था। दोनों के बच्चे भी एक ही स्कूल में पढ़ते थे।


कल्याण ने जब देखा कि अनवर "वंदे मातरम्" और "भारत माता की जय" नहीं बोल रहा है। तो पूछ बैठा – “यार क्या हुआ तुम वंदे मातरम् नहीं बोल रहे हो?”


अनवर ने कहा कि हमारे धर्म में वंदे मातरम् बोलना गुनाह है। कल्याण ने कहा- “अनवर तुम्हें वंदे मातरम् का अर्थ पता है”


अनवर ने कहा “नहीं”


“तो तुम्हें कैसे पता चला कि इसको बोलना गुनाह है। आज इक्कीसवीं सदी में भी तुम जैसे पढ़े लिखे लोग लकीर के फकीर बने हुए हो”


अनवर ने कहा “मुझे किसी ने बताया था कि वंदे का अर्थ वंदना या पूजा करना है और मातरम् का अर्थ माता या माँ है। यानी भारत माता की वंदना या पूजा करते हैं। हमारे धर्म में हम अल्लाह को छोड़कर किसी की पूजा वंदना नहीं कर सकते हैं। इसी तरह "माँ" हम सिर्फ अपनी माँ को ही कह सकते हैं और किसी को नहीं”


कल्याण ने कहा- “तुम ठीक कह रहे हो। पर हर एक शब्द के पर्यायवाची शब्द भी तो होते हैं। अब मैं तुम्हें बताता हूँ कि "वंदे मातरम्" और "भारत माता की जय" का क्या अर्थ है। यहां वंदे का अर्थ सम्मान या आदर करना है, और मातरम् का अर्थ भारत या हिन्दुस्तान की धरती। यानी हम सब भारत का सम्मान करते हैं। इसकी मिट्टी का आदर सत्कार करते हैं। इसी तरह भारत माता से तात्पर्य भारत देश से है। भारत की धरती से है जो माँ के समान हमारी रक्षा करती है। जिसकी मिट्टी में खेल कूद कर हम बड़े होते हैं। जिसके वृक्षों के फल, खेतों के अनाज और नदियों के मीठे जल से हमारा पालन पोषण होता है। हमारे देश का हिमालय पर्वत प्रहरी बनकर दुश्मनों से हमारी रक्षा करता है। अब तुम ही बताओ? क्या तुम अपने देश का सम्मान नहीं करते हो ? क्या तुम इस मिट्टी का आदर नहीं करते हो? क्या तुम अपने को भारतीय नहीं मानते हो?”


कल्याण के शब्दों को सुनकर अनवर ने पूरे जोश के साथ कहा “मैं दिलो जान से भारत देश का, उसकी मिट्टी का सम्मान करता हूँ, क्योंकि मैं इसकी मिट्टी में ही खेलकूद कर बड़ा हुआ हूँ। मैं भारतीय हूँ। इस देश की मिट्टी ने ही मेरा पालन पोषण किया है”


अब अनवर एक बार जोर से चिल्लाया "वंदे मातरम्" "भारत माता की जय" यह कह कर वह कल्याण के गले लग गया।


ग्लानि प्रकट करते हुए बोला- “कल्याण मेरे भाई, आज तुमने मेरी आँखें खोल दी। अब मैं सबको इसका वास्तविक अर्थ बताकर उनकी आँखें खोलने की कोशिश करूंगा”


वह बोला – “आज भी समाज में मेरे जैसे न जाने कितने पढ़े लिखे लोग, बिना सोचे समझे, एक दूसरे के पीछे चल कर लड़ाई झगड़ों में उलझ कर, अपने मुल्क का नुकसान करते हैं” यह कहते ही अनवर की आँखें छलक आईं। कल्याण बहुत खुश था। दोनों मित्रों ने चाय का लुत्फ़ उठाते हुए मैच देखा और भारत की जीत पर "भारत माता की जय"और "वंदे मातरम्" के नारे लगाये। उनके साथ-साथ ऑफिस के सभी लोग "वंदे मातरम्" और "भारत माता की जय" बोलने लगे।


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