वीर जारा
वीर जारा
जस्सी, बाबूजी के लिए खाना लेकर उनके कमरे में गई। टीवी पर न्यूज़ चल रही थी उनके कमरे को ठीक करते हुए वह भी वही उनके पास बैठ गई कि अब प्लेट लेकर ही जाती हूँ।
न्यूज़ चली हुई थी बीच में तभी फिल्मी दुनिया की खबरें आ गई।
रिपोर्टर बता रहा था......वीर -जारा फिल्म के बारे में, कि किस तरह वीर जो.....पाकिस्तान में बंदी बना लिया जाता है और जारा उसके इंतजार में सालों निकाल देती है और अंत में वीर पाकिस्तान जेल से छूटता है और बूढ़े होने पर दोनों मिलते हैं। उसके आगे की कहानी पर उसने ध्यान नहीं दिया। प्लेट उठाकर बे बाबूजी के कमरे से निकल आई।
जस्सी को अपनी कहानी याद आ गई कि.........काश!!!!!!उसकी किस्मत भी.......वीर जारा जैसी होती। वह भी इंतजार करती और उसका मनिंदर भी चाहे बरसों बाद ही सही पर वापस आ जाता। उसकी मनिंदर की वापसी की उम्मीद तो नहीं टूटती। उसे याद आया कि कितनी फाइलें इधर से उधर गई। कहां-कहां नहीं बाबूजी भटके। धरने दिए कि पाकिस्तान की जेलों में बंद कैदियों को रिहा किया जाए। लेकिन कितनी मिन्नतें के बाद सिफारिशों के बाद आई भी तो मनिंदर की........ डेड बॉडी। और जस्सी और मनिदर के प्यार की कहानी वीर जारा ना बन पाई।
