Rajesh kumar sharma purohit

Tragedy

5.0  

Rajesh kumar sharma purohit

Tragedy

विभाजन की रेखाएं

विभाजन की रेखाएं

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कुण्डलपुर गाँव में आज एक ही चर्चा थी सेठ धनपत राय के चारों बेटे ने अपना अपना हिस्सा ले लिया। सेठजी की धन दौलत मकान दुकान सोना चाँदी का आज बँटवारा हो गया। छोटे से लेकर बड़ों तक गाँव के लोगों में बस एक ही चर्चा थी। नाई की दुकान पार मंदिरों की धर्मशालाओं में ,चौपालों पर सबके मुँह पर एक बात सेठजी ने आज अपने बेटों में बँटवारा कर दिया।

सेठ जी के चारों बेटों ने अपने पिताजी से कहा पिताजी आपने सब कुछ हमे बराबर बराबर बाँट दिया है। अब हम सब सुख चैन से रहें इसके लिए हमारे इतने बड़े घर के भी चार हिस्सों को रेखाएं खींचकर विभाजन करवा दीजिये।

सेठ जी ने नौकरों को कह कर चारों बेटों के अलग अलग घर के बराबर बराबर हिस्से देकर विभाजन की रेखाएं खिंचवा दी।

सेठजी ने अब चैन की सांस ली।

दिन खत्म हो गया। गोधूलि बेला आ गई। गाँव के बैल गाय भैंसे बकरी घर की ओर आने लगे। चारों भाई गंगाराम चैनाराम देवाराम सालगराम की धर्म पत्नियाँ सुशील शारदा रुक्मणी कृष्णा आज मन ही मन बहुत खुश हो रही थी। रोज रोज की लड़ाई झगड़े व मान मर्यादा में रहते रहते तंग आ गई थी चारों बहुएँ। अब न जेठ की न सास ससुर की सेवा करना होगा। अब तो हम आज़ाद हो गई। पति परमेश्वर व मैं। ये सोचकर सभी अपने अपने कक्ष में प्रसन्न हो रही थी।

चारों भाई व उनकी पत्नियाँ रिश्तों के बंधन से आज मुक्त हो गए। चारों एकल परिवार जश्न में डूबे थे। घर पर सभी के आज खुशी मनाने के लिए व्यंजन बने थे। इधर सेठजी जी व सेठानी द्वारकी जी के आँखों से आँसू बह रहे थे। सेठ जी सेठानी जी से रोते रोते कहने लगे देखा तुमने आज हमारे दिल के टुकड़े काँच के टुकड़ों की तरह बिखर गए। कितने वर्षों से एक साथ रह रहे थे। सारा गाँव हमारे घर के उदाहरण देते थे। एकता देखनी हो तो सेठजी के घर को देखो।

आज हमारे घर की उस एकता को ग्रहण लग गया द्वारकी जी। विभाजन की रेखाएं खींच गई। जो दिलों में दीवार का काम कर देगी।

मेरा जी घबरा रहा द्वारकी। बस ये कहा ही था कि सेठ जी धनपतराय का शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। चारों बेटों को पता चला तो फुट फुट कर रोने लगे पिताजी आप हमें छोड़कर कहाँ चल दिये।

सेठजी की अंत्येष्टि में आये उनके मित्र लक्ष्मीचन्द ने उन चारों बेटों को पास बुलाकर समझाया तुम्हारे पिताजी के अंत का ये विभाजन की रेखाएँ है। सेठजी नेक दिल इंसान थे। तुम्हारे बँटवारे से वे बहुत दुखी थे।

आज घर घर विभाजन की रेखाएं खींच रही है ये ही बुजुर्गों के असमय मौत का कारण है बेटों।

 



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