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Rajesh kumar sharma purohit

Drama

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Rajesh kumar sharma purohit

Drama

लघुकथा:- आकर्षण

लघुकथा:- आकर्षण

2 mins
360

संगीता की ससुराल में सब अमन चैन से था। खाता पीता परिवार था, समाज मे अच्छी इज्जत थी। उसके ससुर जीतमल जी गाँव के सबसे अमीर आदमी थे। गाँव वाले उन्हें बोहरा जी के नाम से जानते थे। संगीता के घर रेलमपेल लगी रहती। संगीत सबकी अच्छी खातिरदारी करती, सब से हिलमिल कर रहती, प्रेम से बतियाती। उसके घर एक आता, दूसरा जाता। एक दिन बोहरा जी से मिलने शहर से लोग कार लेकर आये। गाँव वालों ने कार कभी देखी न थी, हुजूम उमड़ पड़ा। सब देखने आए। कोई कार पर हाथ घुमाने लगे। संगीता के घर मे सब लोग प्रेमी व्यवहारी थे। उसे सभी लाड़ प्यार से रखते थे। लेकिन उसका रंग थोड़ा साँवला था। मुहल्ले के लोग उसे काली कहते थे। गांव की बोली में उसे कारी कहकर बुलाते। वह किसी का बुरा नहीं मानती। वह कहती काला रंग का होना कोई बुराई नहीं गुण व्यक्ति में होना चाहिए। रंग की नहीं पूजा तो लोग गुणों की करते हैं।


एक दिन संगीता का पति मुकेश जब घर पैदल पैदल आ रहा था तो पड़ोस की राधा चाची घर पर आई। जोर से बोली कारी किवाड़ खोल, तेरे मेहमान आये। वह हास परिहास के मूड में आई थी। पति मुकेश ने देखा संगीता भागती हुई आ रही है। तब उसे पता चला ये तो इसे कारी कह रही।

 

मुकेश गुस्से में बोला "ये कैसे बोल रही हो? बोलना हो तो इज्जत से बोलो। कारी नाम नहीं है, इनका संगीता नाम है" 


राधा चाची बोली "तो इतना गरम मत हो। कारी है तो कारी ही तो कहेंगे। गौरी कैसे कह देंगे। तू ही तो इसे पसन्द कर के लाया कोयले जैसी" चाची क्रोध में बोली। "बड़ों से ऐसे बोलता है। मेरी उम्र पचहतर है। मुझसे जुबान लड़ाता है"


संगीता बोली "चाची मुझे क्षमा करो। आपका इन्होंने अपमान किया"


चाची बोली "तेरे पति की जबान तो देख। बेशर्म कैसे बोल रहा मुझसे। गाँव की सारी पंचायत मेरा मान करती है। ये क्या समझता है मुझे" ये कहकर चाची घर की ओर रवाना होने लगी।


मुकेश बोला "तो ये घर भी किसी मामूली आदमी का नहीं है। मेरे घर मे बैठ मुझे ही धमकी पिला रही हो। कुछ तो शर्म करो चाची"


संगीता चिल्लाई "ओ चाची बहुत हो गया अब। तुम ध्यान से सुनो मेरे पति को बहुत भला बुरा कह दिया आपने"


वह बोली "ये मुकेश का मेरे लिए आकर्षण था तुम्हारे इससे क्या लेना देना। हम दोनों जनम जनम तक साथ रहेंगे। दुनिया जल कर राख हो जाये भले"


मुकेश ओर संगीता ये कहकर कमरे में प्रवेश कर गए। चाची हाथ मलती रह गई। उसे ख्याल आया किसी को रंग का आकर्षण तो किसी को रूप का होता है पर समझदार वही है जो गुणों के आकर्षण से आकर्षित होता है।


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