वह महान वटवृक्ष
वह महान वटवृक्ष
"पापा!"
"आज बाबा का जन्म दिन है न।"
"मम्मा कह रही थीं कि बाबा ने सारे परिवार को एक कर रखा था। उनके देहांत के बाद चाचू भी हमें छोड़ कर चले गए और ताऊ जी ने भी अलग घर ले लिया। "
"मम्मा बता रही थीं कि जिस की छाया में सारा परिवार एकसाथ बैठता था वह वटवृक्ष ही उखड़ गया। आपके बाबा थे वह" वटवृक्ष" जिनके स्नेह के तले सारा परिवार एक था। वे क्या गये छाया ही चली गयी और सब छिन्न-भिन्न हो कर बिखर गये। ये वटवृक्ष क्या होता है पापा ?" ईशान ने पापा से पूछा।
"वटवृक्ष अर्थात् बरगद का पेड़ जिसे तुम अंग्रेज़ी में बेनियन ट्री कहते हो।" पापा ने समझाना चाहा।
"मगर एक इंसान ट्री कैसे हो सकता है ? "बड़े कौतुहल से ईशान बोला।
"देखो बेटा, हम यदि किसी चीज़ की तुलना किसी व्यक्ति से करते हैं तो वह उसके गुणों के आधार पर। "
" जो वटवृक्ष या बेनियन ट्री होता है वह काफ़ी लम्बे चौड़े क्षेत्र में अपनी शाखाएं विस्तृत कर लेता है और अपने सभी राहगीरों व आसपास के लोगों को बिना मांगे शीतल छाया प्रदान करता है। यह उस पेड़ की खासियत होती है बेटा।"
" तेरे बाबा बहुत ही दयालु और सेवाभावी इंसान थे।"
"वे सदा घर परिवार के साथ - साथ पड़ोसियों परिचितों रिश्तेदारों और तो और अंजान व्यक्तियों की सहायता को सदैव तत्पर रहते थे।"
" देशी नुस्खों से कई बीमारियाँ भी ठीक करते थे और वह भी स्वयं के खर्च से।"
अपने प्यारे पिता की याद में भावुक होकर ईशान के पापा धारा प्रवाह बोलते जा रहे थे।
" उनकी स्नेह शीलता और दया भाव के कारण शहर में वे" वटवृक्ष" के विशेष नाम से मशहूर थे। उनकी छत्रछाया अर्थात् देखरेख में कई बच्चे युवा हो गये और कई युवा अधेड़।"
" यही कारण है ईशान बेटा... तेरे बाबा के देहांत होने पर उनकी अंतिम यात्रा में आधा शहर यानि हज़ारों की संख्या में लोग उपस्थित थे।"
"जी पापा। अब मैं समझ गया कि विशाल" वट-वृक्ष" यानि एक महान्" बरगद का पेड़" थे मेरे प्यारे बाबा।"
ईशान चहक कर बोला।
