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Swati Grover

Drama Tragedy Fantasy

4  

Swati Grover

Drama Tragedy Fantasy

वेडिंग कार्ड

वेडिंग कार्ड

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179

नैना को किसी ने मार दिया था। उसकी खून से लथपथ लाश लोगों को कहने पर मजबूर कर रही थी कि 'क्या अन्याय है! दस दिन बाद इसकी शादी थी और यह कुदरत का कहर। आखिर नैना को मारा किसने ? नैना जो हर तरह से सक्षम और निर्भीक लड़की थीं। उसकी किसी से दुश्मनी तो नहीं लगती। फ़िर ऐसी निर्मम हत्या यकीन नहीं होता।' पुलिस आ चुकी थी। नैना की माँ का रो-रोकर बुरा हाल था। नैना हाय ! मेरी बेटी यह क्या हो गया। नैना की माँ शर्मीला बार-बार यही कह रही थी। आप सभी घर से बाहर जाइये, जरा हमें अपना काम कर लेने दीजिए। इंस्पेक्टर सोहन ने सबको बाहर धकेलते हुए कहा।

"नैना की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दो। सारे घर की तलाशी लो और सभी घरवालों से पूछताझ करो। ध्यान रहे कोई भी किसी चीज़ को हाथ न लगाने पाए। सोहन लाल ने आदेश दिया। कोई भी ऐसा सबूत नहीं मिला, जिसे कातिल का पता लगाया जा सके। नैना क़े पिताजी ने हाथ जोड़कर कहा, मेरी बेटी के कातिल का पता लगाए सर, वरना मुझे आगे आपके सीनियर तक बात पहुँचानी पड़ेगी। आखिर वही हुआ, नैना के पिताजी ने शिकायत की। और केस सीनियर इंस्पेक्टर माधव के पास पहुँच गया। क्या बात है सोहन? फिर से केस की फाइल खोलो। और मुझे केस की सारी डिटेल बताओ। शुरू से शुरू करो। माधव ने कहा। जी, सर सुनिए।सोहन ने बताना शुरू किया ::

"नैना की मौत शाम पांच बजे आज से ठीक तीन महीने पहले हुई थी, सिर पर किसी ने बहुत ज़ोर से वार किया था। पर किस चीज से पता नहीं। हथियार भी हमें नहीं मिला। दरवाज़ा अंदर से बंद था। छत का दरवाज़ा भी अंदर से बंद था। कातिल कहाँ से आया पता नहीं। शाम को उसके घरवाले ने दरवाज़ा खटखटाया पर कोई जवाब न मिलने पर पुलिस को बुलाया गया। सारी चीजे दिखाओ, जो भी नैना के घर से मिली हैं। माधव ने कुर्सी पर बैठते हुए कहा। 

सभी चीजे सामने लाई गयी। चीजों में सिर्फ था-नैना का दुप्पट्टा, उसका मोबाइल फ़ोन और उसका वेडिंग कार्ड। माधव ने हर चीज़ को गौर से देखा और तभी उसकी नज़रे वेडिंग कार्ड पर टिक गई उसकी ख़ूबसूरती बहुत लाज़वाब थी, ऐसा शादी का कार्ड उसने पहले कभी नहीं देखा था। रेशम और ज़री तथा चमेली के फूलो से बना कार्ड कमाल का था। एक सुन्दर सी प्यार भरी कविता अपने प्रिय के प्रति प्यार को दर्शा रही थी। पढ़ते ही मन भावुक हो जाता था। पर यह क्या कार्ड के कोने में हल्का सा खून और कार्ड की हालत देखकर लगता है कि इसे काफ़ी मोड़ा गया है। जाओ इस कार्ड को फॉरेंसिक लैब में ले जाओ और पता करो यह खून किसका है। और सभी नैना के करीबी, जानने वाले और फ़ोन की कॉल रिपोर्ट भी मेरे पास भेजो।

एक-एक करके सबने आना शुरू किया और इंस्पेक्टर माधव का सवाल-जवाब का सिलसिला शुरू हो गया। आप नैना की सौतेली माँ है। सुना है,आपकी और नैना की ज्यादा बनती नहीं थी। जी नहीं, ऐसा कुछ नहीं है। थोड़ा बहुत लड़ाई-झगड़ा सबके घरों में होता रहता है। और वैसे भी सौतेली को समाज ने वैसे ही बुरा बनाया हुआ है। मैं नैना को बहुत प्यार करती थी। मैंने उसे नहीं मारा। नैना की माँ शर्मीला ने ज़ोर से कहा। तो क्या यह सच नहीं है कि नैना शादी से एक महीने पहले घर छोड़कर चली गयी थी। माधव ने सख्ती से पूछा। जी वो बड़ी ज़िद्दी लड़की थी, लहंगे के पीछे झगड़ा हुआ था, फिर उसके पापा मना लाये थे। ठीक़ है, आप जा सकती है। इन पर नज़र रखो। माधव ने अपने जूनियर रितेश को कहा। सर मैं क्यों मारूंगा नैना को हमारी शादी होने वाली थी और हम पर कोई दबाव नहीं था शादी का। लेकिन आप किसी और से प्यार नहीं करते थे। सर वो तो एक अफेयर था, जो वक़्त रहते ख़त्म हो गया। आजकल तो सभी का कोई न कोई अफेयर हो ही जाता है। नितेश ने खीजते हुए कहा। तुम्हारी गर्लफ्रेंड का क्या नाम था ? जी रश्मी, सर उसकी भी शादी हो गई है उसे परेशान मत करियेगा। बड़ी फ़िक्र हो रही है, तुम्हें उसकी। "जाओ, जब भी बुलाया जाए, तब आना। माधव ने डंडा दिखाते हुए कहा।

रश्मी को बुलाया गया, नैना के सभी रिश्तेदार जिनके पास वो वेडिंग कार्ड गया था, सबसे पूछताझ हुई। पर कुछ भी सुराग न मिला। फिर भी पुलिस'सब पर नज़र रख रही थीं। फ़ोन रिकॉर्ड भी मंगवाए गए। पर कुछ हाथ नहीं लगा। तभी नैना के पिताजी शम्भुप्रसाद ने बताया कि यह काम पड़ोस के लड़के नीरज का है। वो ही मेरी बेटी नैना को परेशां करता रहता था। नीरज को बुलाया गया।

दो झापड़ मारे गए, क्यों बे! सच बता तूने मारा नैना को। इंस्पेक्टर माधव ने लगभग घूसे मारते हुए कहा। क्यों कॉल करता था? नैना को सबसे ज्यादा तूने ही कॉल किया है। सर, मेरा और नैना का कभी अफेयर था, जो ख़त्म हो गया। हम अब दोस्त बन गए थे। उसने मुझे अपना शादी का कार्ड भी दिया था। उसी सिलसिले में बस थोड़ी बातें हुई। जिस दिन क़त्ल हुआ, उस दिन मैं अपने माँ को लेकर हरिद्वार गया हुआ था। नीरज ने थोड़ा डरे और साफ़ शब्दों में कहा। तुम्हारा ब्रेकअप क्यों हुआ था ? माधव ने पूछा। सर हमारे विचार नहीं मिल रहे थे। उसे मेरे परिवार में कीड़े नज़र आते थे। फिर वही बहस और हम एक दिन अलग हो गए।नीरज थोड़ा सँभालते हुए बोला। साले, पूरी कहानी पहले से ही सोचकर आया है। एक तड़ाक चाटा। चल, रह यहाँ पर। सर मैं सच बोल रहा हूँ। नीरज लगभग गिड़गिड़ाते हुए बोला। माधव उसे वही लॉकअप में छोड़कर चले गए।

सर, हम इसको ज्यादा दिन तक रख नहीं सकते। यह सच कह रहा है। बाहर इसकी माँ आई हुई है। इसका टिकट भी चेक किया। जिस धर्मशाला में यह रुका था, वहाँ भी पूछा गया है। जूनियर दिलीप बोला। ठीक है, अभी कुछ दिन रोको, फिर देखते है। और मेरे साथ नैना के घर चलो। माधव ने तेज़ी दिखाते हुए कहा। पूरी पुलिस टीम नैना के घर पहुँची। माधव ने ध्यान से नैना के घर का कोना-कोना चेक किया। तुम कौन हो ? जी मैं रमा, अरे! यह तो नाबालिक नौकरानी रखी हुई है आपने। माधव गुस्से से चिल्लाते हुए बोला। सर, यह ग़रीब है। इसकी माँ ने हाथ-पैर जोड़े। तभी रखा। शम्भू प्रसाद ने सफ़ाई दी।

कुछ जानती हों ? नैना का खून हुआ उसके बारे में ? सर, मैं बता चुकी हूँ। मैं अपनी सहेली बाला के घर थी। रमा ने डरते हुए कहा। यह यही रहती है क्या? वो रसोई के साथ वाला कमरा तुम्हारा है ? माधव ने पूछा। "हाँ, मेरा है सर। यह सच कह रही है, हमने पता किया है। जूनियर ने कहा।

सालों सब सच बोल रहे हैं। फ़िर खून किया किसने है ? कोई भूत मार गया क्या ? नाटक लगा रखा है?" गुस्से से लगभग चीखते हुए माधव नैना के घर से निकल गए। सर बात सुनिए, गुस्सा मत करिये, नीरज को अंदर डाल देते है। वह दोषी नहीं भी है, तो भी उसे खूनी बना डालते है। फिर फाइल बंद। जूनियर रितेश ने कहा। बाकी माँ, उसका होने वाला पति, उसके दोस्त, रिश्तेदार और रश्मी सब बेगुनाह है ? माधव ने लगभग चिढ़ते हुए कहा। सर, इसके पास ज़्यादा सही वजह है। रितेश कंधे उचकाकर बोला। मुँह बंद करो अपना। माधव जीप में बैठते हुए बोले। रात के बारह बज चुके थे। माधव ने सोहन को कहा, सब मुख्य सस्पेक्ट को थाने बुलाओ।

आप सभी को आज पुलिस थाने में बुलाने का कारण है कि कातिल का पता लग चुका है। हमारे पास सुराग के तौर पर है, यह वेडिंग कार्ड, जिस पर नैना का ही खून लगा हुआ है। तुम नितेश तुमने नैना को मारा???.........सर मैं क्यों ? नितेश चीखकर बोला। मुँह बंद रखो अपना। माधव ने बात काटते हुए ज़ोर से चिल्लाकर कहा। कातिल यह है। सोहन ने ऊँगली से ईशारा किया। सबने उस और देखा तो पीछे दो महिला कांस्टेबल के साथ रमा खड़ी थी। मैं क्यों मारूंगी रमा दीदी को? मुझे छोड़ दों। रमा ने पैरो में गिरते हुए कहा। सर, आप हवा में तीर छोड़ रहे है। भला रमा क्यों मारेगी? इसके पास क्या वजह है? हम कौन सा इसे जानवरो की तरह पीटते है। नैना के पिताजी ने कहा। वजह यह खुद बताएगी। बताओ! रमा, वरना तुम्हारी सहेली बाला को बुलाना पड़ेगा। वह सच बताएगी। माधव ने रमा को घूरते हुए कहा।

हाँ, मैंने मारा नैना दीदी को। मैं उन्हें मारना नहीं चाहती थी। उस दिन मैं शाम को सब्ज़ी खरीदने बाज़ार जाने वाली थी। दीदी अपना वो सुन्दर सा वेडिंग कार्ड देख रही थी। मैंने बस इतना कहा कि मैं अपने ब्याह में भी यही कार्ड छपवाऊँगी। जो कविता इस पर लिखी है, वो पढ़कर सुना दो। यह सुनते ही वो इतना गुस्सा हो गयी कि उन्होंने मुझे अनपढ़ और न जाने क्या-क्या गालियाँ दी। और चप्पल उठाकर मारी। फ़िर, मुझे भी गुस्सा आ गया। और मैंने दीदी के सिर पर मारा। मुझे नहीं पता था कि वो मर जायेंगी। तुम भागी कहाँ से ? माधव ने पूछा। रसोई वाली टूटी खिड़की से जहाँ पर्दा लगा था। सीधा भागते हुए अपनी सहेली बाला के पास पहुँची। हथियार कहाँ पर है ? मैंने कूड़े में रखे टूटे फूलदान से मारकर उसे बाहर वाले कूड़े में फेंक दिया। रमा लगातार रोते हुए बोले जा रही थी। हाय ! मेरी बेटी को मार दिया।" पिता शम्भूप्रसाद लगभग रमा को मारने दौड़े। अरे ! सम्भालिये। माधव ने कहा। दो कांस्टेबल बुलाये गए।

मात्र चौदह साल की रमा को बाल सुधार गृह भेज दिया गया। नैना के घरवाले सोच रहे है, काश !नैना वेडिंग कार्ड पढ़कर सुना देती तो शायद बच जाती या रमा को अपना आपा नहीं खोना चाहिए था, आख़िर वो एक मामूली सी नौकरानी है। सर, आपको कैसे पता चला कि रमा कातिल है? सोहन ने पूछा। हम नैना के घर गए थे तो मैंने देखा कि रमा के कमरे में 4-5 वेडिंग कार्ड देखें। जो बड़े प्यार से सहेज़ कर रखे गए थें। और शम्भू प्रसाद ने बताया था की कुछ कार्ड कम पड़ गए थें। फिर रसोई की आधी से ज्यादा टूटी खिड़की को रमा डरते हुए परदे से बार-बार ढक रही थी। और हमारे पास इस वेडिंग कार्ड के अलावा कोई सबूत नहीं था। न कोई चोरी न कोई दुश्मनी। और नैना के करीबी भी कसूरवार नहीं लग रहे थें। प्रसाद ने सही कहा था कि मैं अँधेरे में तीर छोड़ रहा हूँ। रमा के कबूलनामे ने मेरा काम और आसान कर दिया। पर अफ़सोस इस बात का है कि आज भी हमारी नई पीढ़ी इतनी शिक्षित और आज़ाद ख़्याल होकर भी अशिक्षित और पिछड़े हुए लोगों के सपनों को समझने में नाकाम है। चलो, दूसरा केस देखते हैं। माधव ने कहा।


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