STORYMIRROR

yashwant kothari

Inspirational

4  

yashwant kothari

Inspirational

वैकल्पिक चिकित्सा में शिक्षा

वैकल्पिक चिकित्सा में शिक्षा

4 mins
500

                                                                                           


           हमारे देश में अंग्रेजी चिककित्सा शिक्षा का विकास बड़ी तेजी से हुआ है । आज भी एलोपेथी चिकित्सा शिक्षा सर्वोपरि है लेकिन धीरे धीरे एलोपेथी चिकित्सा की कमियां उजागर होने लगी और लोगों का ध्यान वैकल्पिक चिकित्सा की ओर जाने लगा । सरकारी प्रयासो के कारण वैल्पिक चिकित्सा के साथ साथ वैकल्पिक शिक्षा का भी प्रसार होने लगा । आयुर्वेद , होम्योपैथी , युनानी , प्राकृतिक , सिद्धा , योग , व अन्य देशी चिकित्सा पद्धतियों का विकास होने लगा । आजादी के बाद सरकार ने भी इस शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए राज्य स्तर पर तथा केन्द्रीय स्तर पर प्रयास शुरू किये । धीरे धीरे वैकल्पिक चिकित्सा शिक्षा आगे बढ़ने लगी । वैकल्पिक चिकित्सा शिक्षा में सर्वाधिक सुदृढ़ स्थिति आयुर्वेद , युनानी , होम्योपैथी , व योग शिक्षा की होने लगी. देश में इन विष यों के महाविधालय व विश्वविधालय खुलने लगे । विपयों के पाठ्यक्रमों के निर्धारण हेतु केन्द्रीय संस्थाएं अस्तित्व में आई । केन्द्र सरकार ने विकास के लिए राष्ट्रीय संस्थानों की स्थापना की । राज्य सरकारो ने विश्वविधालयों की स्थापना की । गुजरात में आयुर्वेद विश्वविधालय , जोधपुर में राजस्थान आयुर्वेद विश्वविधालय जैसी संस्थाएं अस्तित्व में आई । ढेरो निजी आयुर्वेद , होम्योपैथी , युनानी , व प्राकृतिक महाविधालय , शोध संस्थाएं विकसित हुई । शोध के क्षेत्र में भी केन्द्रीय स्तर पर सी. सी. आर. ए. एस. तथा अन्य संस्थाएं बनी और तेजी से काम करने लगी । खुली अर्थव्यवस्था , शिक्षा के निजिकरण तथा सरकार की उदारता के कारण ढे रो संस्थाएं इस क्षेत्र में काम करने लगी । डिग्री ,डिप्लोमा,पी जी ,पी एच डी के साथसाथ नर्सिंग,फार्मेसी ,प्राकृतिक चिकित्सा ,योग आदि में लघु कोर्स शुरू हो गए.निजी संस्थानों ने जम कर माल काटा।

          नये नये पाठ्यक्रम बनने लगे । उन्हे तेजी से लागू किया जाने लगा । और इस के कारण गुणवत्ता में कमी आने लगी । गुणवत्ता में कमी का कारण ये भी रहा कि जिस तेजी से संस्थाएं बनी ,उसी तेजी से मानव - संसाधनों का विकास नहीं हो सका । परिणाम स्वरूप उच्चस्तरीय अध्ययन , अध्यापन , शोध आदि प्रभावित होने लगा । 

तेजी से स्नातकोतर संस्थान खोले गये । स्नातक के बाद की पढ़ाई के विशेपज्ञ उपलब्ध नहीं हो पाये । इसी प्रकार पी. एच डी. की गुणवत्ता में भी – ह्रास होने लगा । कई कागजी संस्थाएं बन गई । शोध विपयों का बार बार नकलीकरण होने लगा । अध्यापकों की कमि के कारण सेवानिवृत्त अध्यापको को निजि महाविधालयों ने अनुबंधित करना ष्शुरू किया । फल स्वरूप एक ही अध्यापक एक से अधिक निजि महाविधालयों में घर बैठे ही सेवा देने लगा । शोध छात्रों ने भी मौके का फायदा उठाया और तेजी से वैकल्पिक चिकित्सा में एम. डी. पी. एच. डी. डी. लिट जैसी डिग्रियाँ मिलने लगी और इन डिग्रियों के सहारे नौकरियां मिलने लगी । नौकरियों में आरक्षण की आग भी लगी । छात्रों में भी काम की गम्भीरता के बजाय डिग्री पाने की आकांक्षा प्रबल होने लगी । धनबल से योग्यताएं अर्जित होने लगी.योग्य लोग सरकारी व् निजी संस्थानों में घुस गए।जो अध्यापक की पात्रता नहीं रखते वे प्रोफेसर ,कुलपति बनगए लगभग सभी कुलपति निर्धारित पात्रता नहीं रखते।एक निलंबित अध्यापक सचिव बन गए ,यही विकास है भाई।

          वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियो में चिकित्सा की गुणवत्ता भी प्रभावित होने लगी । इन चिकित्सा पद्धतियों में आने वाले रोगी एलोपैथी से थक हार कर आने लगे । कई चिकित्सा संस्थानों में उच्च पदो पर विवाद होने लगे । विवाद के कारण चिकित्सा शिक्षा शोध प्रभावित होने लगे ।

कई संस्थानों मेंउच्च पद रिक्त हो गये । कई संस्था नों में शोध का कार्य ठप्प सा हो गया । कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि वैकल्पिक चिकित्सा के क्षेत्र में गुणवत्ता की आवश्यकता है.

 निम्न सुझाव प्रस्तुत है -

1.      पूरे देश में स्नातक स्तर पर प्रवेश एक राष्ट्रीय य प्रवेश परीक्षा से ही हो ।

2.      पूरे देश् में स्नाकोत्तर स्तर पर प्रवेश भी राष्ट्रीय प्रवेश से ही हो ।

3.      शोध - विषयों का राष्ट्रीय स्तर पर निधारण हो तथा दोहराव को रोकने हेतु एक राष्ट्रीय एजेन्सी कायम हो । सभी थीसिस ऑन लाइन उपलब्ध हो कोपी कट्स को नोकरी से निकाला जाय।

4.      वैकल्पिक चिकित्सा हेतु एक राष्ट्रीय बोर्ड बनाया जाना चाहिये जो चिकित्सा की मूलभूत आवश्यकताएं व अहताएं तय करे ।

5.      साहित्यिक शोध पर विशेप ध्यान दिया जाना चाहिये ।

6.      निजि महाविधालयों को अनुमति देने से पूर्व संस्थानों की पूरी पड़ताल हो । धनबल के प्रयोग को रोका जाए।

वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों के समुचित विकास की और ध्यान देना आज की महती आवश्यकता है ।         





















Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational