मैंने भी खरीदा वाहन
मैंने भी खरीदा वाहन
आम शहरी नागरिक की तरह मेरे पास भी एक अदद द्विचक्रवाहिनी नामक वाहन था, जिसे मैं अपने विद्यार्थी काल से ही काम में ले रहा था। इस ऐतिहासिक वाहन पर चढ़ कर ही मैंने एम.एस.सी. किया। नौकरी षुरू की। षादी की तैयारियां कीं और वे सभी सांसारिक कर्म किये जो इस साईकिल नामक वाहन से संभव था। मगर इधर तेजी से बदलती, बदलती दुनिया और समय की कमी, आपा-धापी से परेषान होकर मैंने भी एक दुपहिया वाहन लेने की सोची। बस मुसीबत का पहाड़ उसी दिन से गिरना शुरू हुआ पत्नी से बात की तो बोली, साईकिल में क्या खराबी है इस पर तुम आटा भी पिसवाकर ले आते हो, सब्जी भी आ जाती है। स्कूटर पर आटा नहीं पिसवा सकोगे और फिर पेट्रोल का खर्चा। इस महंगाई के युग में यह फालतू का खर्चा। कम से कम तीन सौ रुपये महावार फुंक जायंगे।
मैंने बात को संभालने की कोशिश की।
अरे भागवान ! तुम कुछ समझने की कोशिश करो। अगर एक अदद दुपहिया वाहन खरीद लें तो मैं दफ्तर से षाम को जल्दी घर आ जाऊंगा। बचचों को स्कूल छोड़ सकूंगा। और कभी कभार तुम्हे भी घुमाने ले जाऊंगा। सच में जब कन्धे पर हाथ रखे पीछे महिला को बिठाकर कोई वाहन सर से मेरे पास से गुजरता है तो कलेजे में एक हूक-सी उठती है, काष मेरे पास भी एक दुपहिया वाहन होता। पत्नी की आंख में चमक आई।
मैं समझ गया। अब बात बनने ही वाली है।
अब तुम ही सोचो क्या इतने बड़े ससुर का दामाद साईकिल पर जाता अच्छा लगता है। और फिर पैसो का प्रबंध, तो तुम चिन्ता मत करो। दफ्तर से वाहन अग्रिम के रूप में मुझे चालीस हजार रुपये मिल जायंगे। बोनस भी आगे पीछे मिलने ही वाला है। बस तुम हां कह दो। जैसे-तैसे जुगाड़ करके अपन भी एक दुपहिया वाहन के मालिक बन जायंगे। और फिर ठाठ से टाटा, बाई-बाई करे गे। देखा नहीं टी.वी. पर वाहन के विज्ञापन मंे चालक और चालक प्रेमिका कैसी हंसी ठट्टा करते है।
सो सब तुम जानो। मगर हर महीने उसे क्या पानी भर के चलाओगे।
देवी अभी विज्ञान ने इतनी उन्नति तो नहीं की है कि स्कूटर या मोपेड पानी से चले, मगर फिलहाल हम स्कूटर को कम चलायंगे। देखो बच्चों के रिक्षा को बन्द कर दे गे। मैं उनको छोड़ कर दफ्तर जाऊंगा और शा म को आते समय ले आऊंगा। दो सौ रुपये ये बचे। साईकिल पुरानी है सो हर महीने मरम्मत में 20-25 रुपये खाती है, सो ये भी बचे। मेरे कार्यालय आने जाने में बस के किराये के प्रतिमाह सत्तर-अस्सी रुपये लग जाते हैं सो भी बचेंगे। सो इस प्रकार भागवान इस प्रतिमाह की बचत से पैट्रोल आ जायेगा। और सुनो, षाम को समय बचेगा तो एक-आध ट्यूशन कर लूगा तो सब ठीक हो जायेगा। तुम चिन्ता मत करो।
मगर लोन की क़िस्त कैसे चुकेगी ?
तुम नहीं समझोगी, डी.ए. की क़िस्त तथा सालाना वेतन वृद्धि से लगभग एक सौ रुपयों की वेतन वृद्धि होगी, उसी में से किष्त भी चुक जायेगी।
अब तुम नहीं मानते हो तो ले लो दुपहिया वाहन, मगर हैलमेट पहन कर पूरे कार्टून लगोगे।
वो तो मैं अभी भी लग रहा हूं।
मैंने हंसते हुए कहा।
क्या आपकी वाहन व्यथा भी इसी प्रकार की है। लिखियेगा।
दुःख कहने-सुनने से हल्का होता है वाहन की व्यथा-कथा एक दूसरे से कहते रहे। बाकी सब ठीक है।