उर्मी और माधवी
उर्मी और माधवी
बचपन से एक साथ पढ़ते- पढ़ते बड़ हुईं उर्मी और माधवी दोनों सहेलियां एक दूजे के बहुत पास थीं। किसी भी समस्या का समाधान वे दोनों आपस में मिलकर खोज लेतीं थीं, और किसी की भी सहायता के लिए हर समय तैयार रहती थी।
साल 26/12/2019 के समय साल के अंतिम सूर्य ग्रहण पर ग्रहों के उलटफेर के कारण चीन से आए हुए कोरोना वायरस ने पैर पसारने शुरू कर दिए थे। जनवरी से मार्च तक 1-2-3 करके करीब 1लाख लोगों को यह बीमारी भारत में प्रभावित कर चुकी थी। परिवारों के साथ थोड़ा सा प्रभाव उन दोनों सहेलियों पर भी पड़ा और बे भी थोड़ी सहम गईं थीं।
इस संकट के कारण 24/3/ 2020 को 21 दिन का लोक डाउन किया गया। इसके 4 दिन बाद 28/3/2020 को सुबह- सवेरे जो प्रकृति का सुहाना नजारा देखने को मिला वह मनमोहक था। चमकता हुआ सूरज- सुहानी धूप- सौम्य- निखरा हुआ आसमान ब्रह्मांड दूर-दूर तक साफ सुथरा वातावरण, शीशे की तरह साफ दिखती हर वस्तु।
इतना सब कुछ पाकर वे दोनों भी खुश थीं। आपस में कहतीं थीं--- काश प्रकृति का यह चक्र ऐसे ही चलता रहे तो मानव जीवन सुखी हो जाए।
महामारी के बढ़ते प्रकोप के कारण बार-बार लाख डाउन बढ़ाया गया। व्यापार-रोजगार- नौकरी- काम-धंधे सब खत्म। बच्चों के स्कूल बंद, पढ़ाई खत्म, लोग घरों में बंद हालत नाजुक।ऐसे में उर्मी माधुरी ने अपने परिवार के साथ- साथ अन्य लोगों की भी हर प्रकार से सहायता की कोशिश की।
स्कूल बंद बच्चे- बड़े सब घरों में बंद, पढ़ाई- आमदनी प्रभावित। इन सब के कारण वे दोनों सहेलियां भी थोड़ी विचलित हुईं, फिर भी उन दोनों ने फोन से संपर्क करके एक दूसरे की हिम्मत बढ़ाई तथा जो भी खबर उन्हें पता लगती वे किसी न किसी तरह ज्यादा से ज्यादा परिवारों तथा लोगों को सुरक्षित रहने के उपाय तथा स्वास्थ्य को ऊर्जा देने के उपाय से सहायता तथा हिम्मत बंधातीं थीं। कोई भी माध्यम से अपनी तथा अन्य बच्चों से संपर्क बनाकर उनके पढ़ाई खुद से सुचारु रखने के उपाय सुझाती रहीं। उन दोनों का ये ही संकल्प था।
केंद्र व राज्य सरकारों तथा शिक्षण संस्थानों ने भी बच्चों का भविष्य प्रभावित ना हो ऑनलाइन शिक्षा का माध्यम अपनाया। वरना तो शिक्षक तथा बच्चे सभी परेशान और बच्चों के भविष्य की चिंता तथा शिक्षा दो नावों पर झकोरे खा रही थी।
साल 2020 तो हंसी खुशी कट गई। कामगारों को परिवार, परिवारों को बच्चे और बच्चों को पिता का साथ मिला। रोज कुछ ना कुछ नया बनाना खाना खिलाना खूब रहा।
साल 2021 में महामारी ने जो कहर ढाया, हर तरफ अशांति- शोक-आंसू- मातम। अपने परायों के खोने का दुख, बच्चों से बिछड़े मां- पिता, तथा परिवारों से बिछड़े बच्चे। उस समय भी वह दोनों हर संभव सहायता के लिए ढाल बनकर खड़ी रहीं थीं। उर्मि और माधवी के संकल्प व प्रयास से बहुत लोगों के लिए तथा बच्चों की पढ़ाई को संजीवनी मिली।
तथा बहुत सोच- विचार के बाद मेहनत तथा लगन से सरकार व शिक्षण संस्थान के अनथक प्रयासों से बच्चों को दो साल की उलझन से उबार कर उनके बिगड़ते भविष्य को रास्ता दिखा दिया। उर्मी तथा माधवी के संकल्प भी अंधेरे में उजाले का कार्य कर रहे थे।
31/1/2021 को डीसीजीआई द्वारा बनाई गई सिरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया की कोविडशील्ड, भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को मंजूरी मिल गई।
हमारे पीएम श्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से समय-समय पर देश को सांत्वना तथा सफाई सुरक्षा के उपायों से वैक्सीन का वितरण तथा लगाने का कार्य शुरू हुआ।
विदेशों में भी वैक्सीन भेजकर सहायता की तथा केंद्र और रामदेव द्वारा योग- सुरक्षा- स्वास्थ्य के उपायों से देश-विदेशों में उनको अवगत करा कर भारत का मान बढ़ाया,और भारत को विश्व गुरु की डगर पर खड़ा कर दिया। सब कुछ खो कर भी जो हमने पाया वह हमारे देशवासियों का गौरव है।
जय हिन्द , वंदे मतरम
