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तू नआना लाडो

तू नआना लाडो

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खट्ख... ट्...

'कौन है ?'

'मैं, तेरी बेटी माँ।'

'मेरी बेटी ? लेकिन मेरे तो कोई बेटी नहीं..'

'हां,'इसीलिए मैं आना चाहती हूं मां..तेरी बेटी बनकर।ट

'अरे ! नहीं... नहीं... मेरी बच्ची तू मत आना यहाँ। यहां तू सुरक्षित नहीं है बच्ची .. यहां इंसान नहीं हैवान पैदा होने लगे हैं, न जाने कब तू उनकी हैवानियत की शिकार हो जाये।'

'ऐसा मत कहो माँ.. मैं तेरी परछाई हूं... पापा की परी हूं ... जरा सोच माँ तू मुझे जन्म देगी तभी तो संसार में मातृत्व जिंदा रहेगा ना वर्ना इस संसार का अस्तित्व ही नहीं रहेगा और पापा किसे अपनी परी कहेंगे ? कौन उन्हें कन्यादान का पुण्य देगा ? भाई की कलाई में राखी बांध कर कौन उसे सुरक्षा कवच का अहसास दिलायेगा ?'

"ये सब तेरी बातें सही है मेरी बच्ची, लेकिन फिर भी मैं तेरी आत्मा को रौंदते हुए नहीं देख सकती। तेरी मासूम चीत्कार सुनने की ताकत नहीं है मुझमें। इसलिए तू इस बेगैरत दुनिया में आने की सोचना भी मत। जहां ईश्वर भी मौन हो गया है शायद सोच रहा हो कि क्या ये मेरी बनाई दुनिया है ? कहा चूक रह गयी है मुझसे ? या शायद इस कलयुग की समाप्ति कर ईश्वर खुद अवतार लेने की सोच रहा है।तू अभी न आना इस धरती पर मेरी लाडो... अभी न आना !


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