Nidhi Kunvarani

Romance

3  

Nidhi Kunvarani

Romance

तू ज़रुरी है

तू ज़रुरी है

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129


सारांश: सीमा! कहां हो?

(ऑफिस से आकर मुंह धोते समय)


बहुत भूख लगी है, जल्द से खाना लगा दो डियर!

(उसे याद आया कि,आज तो सीमा है ही नहीं घर पे)


वैसे सारांश और सीमा का लव मैरेज ही था। दोनों कॉलेज के दौरान से ही अच्छे दोस्त थे। सीमा पढ़ने में हर साल कक्षा में अव्वल आती थी। वहीं और सारांश हरेक सांस्कृतिक प्रतियोगिता और खेलकूद में अव्वल आता था। दोनों अच्छे दोस्त थे पर सारांश को पढ़ाई में कम रस था दूसरी और सीमा को सांस्कृतिक प्रतियोगिता और खेलकूद में कम रस था।

सीमा कि वजह से फिर भी सारांश का थोड़ा बहुत पढ़ लिया करता था। ऐसे ही दोनों का M.B.A पूरा होने वाला था।

दोनों अब एक दूसरे को ज्यादा ही चाहने लगे थे। पहले उनको लगता था कि उन दोनों में सिर्फ दोस्ती ही है।

जैसे-जैसे M.B.A कि पढ़ाई खत्म होने आयी। दोनों को अहसास होने लगा कि वो दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो गया है। सीमा उसके माता-पिता कि एक ही लाडली बेटी थी तो मान गये।

सारांश मध्यमवर्ग से था। तो सारांश को लगा कि सीमा को वो भी प्यार तो बहुत करता है,पर उसे लगा कि सीमा उनके मध्यमवर्ग

में रह सकेंगी या नहीं, ये सोच वो सीमा को प्रपोस नहीं कर पा रहा था। आखिर, सीमा ने ही उसे प्रपोस कर दिया।

सारांश के माता-पिता पहले ही चल बसे थे।

सीमा ने सोचा वो भी नौकरी कर लेगी सारांश कि ऑफिस मे।

थोड़े ही हफ्ते में दोनों कि मंगनी हो गयी और कुछ ही महीनों में दोनों कि शादी हो गयी।

शुरू में सब सही चलने लगा था। जैसे कि सीमा पढ़ने में अच्छी थी। तो उसकी नौकरी में बढ़ती जल्द होने लगी। कभी-कभी सीमा नौकरी आकर थक जाती थी ऐसी छोटी-छोटी बातों में धीरे-धीरे दोनों के बीच मन मोटाव बढ़ने लगा।

सीमा अच्छी ही थी, वो सिर्फ अपने पति कि मदद करना चाहती थी। पर, सारांश को ये लगने लगा कि सीमा अपने पति से आगे बढ़ना चाहती है। ऑफिस में बॉस और सह कर्मचारीयो भी सीमा के काम कि ही प्रशंसा करते रहते थे। ये बात से सारांश चीड़ जाता था। और, ये छोटी-छोटी बातों मे झगड़ा होने लगे।

आखिर, सीमा ने नौकरी ही छोड़ दी। उसे लगा कि अगर नौकरी कि वजह से ही उनका रिश्ता बिगड़ रहा है तो वो नौकरी ही छोड़ देनी चाहिए। सीमा ने अपनी नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया।

अब वो घर संभालती थी, और उसके अलावा वो घर से ही कुछ अकाउंटिंग का काम कर लिया करती थी। जिनसे घ रके खर्चे मे वो अपना हिस्सा थोड़ा सके। नौकरी तो छोड़ di पर फिर भी झगड़े कम नही हुये। और,एक दिन तो हद ही हो गई। सारांश ने उसे अपने घर से ही जाने को बोल दिया

"सारांश: सीमा! तुम्हारे बिना भी घर भी चल सकता है और...."

"सीमा: क्या? क्या बोल रहे हो? तुम्हारा बर्ताव ऐसा क्यूँ हो रहा है?

मैने ऐसा क्या कर दिया? क्या गलती है मेरी?"

"सारांश: गलती तुम्हारी नही मेरी है तो मैने ये सोच लिया था कि तुम मेरे घर मे और मेरे कमायी मे तुम गुजारा कर लोगी, पर...

शायद मे ही गलत था।"

(ये सुनकर सीमा कि आँखें भर आयी। और वो रूम मे चली गयी

सीमा को आज सच में दिल तक चोट पहुंची थी। इसलिये नहीं कि सारांश ने ये सब बोला पर इसीलिए कि सारांश ने उसे समझा नहीं।)


(अब तक का फलेशबेक)


सारांश ने देखा कि डाइनिंग टेबल पे एक चिट्ठी पड़ी थी। उसमे लिखा था कि सरु तुम्हें भूख लगी होगी।

तुम्हारी पसंद का खाना बनाया है, खा लेना, वर्ना एसिडीटी हो जायेगी। (खाना तो लाजवाब लग रहा था पर निवाला गले से नीचे जा ही ना पाया। वहां एक दूसरी चिट्ठी थी उसमें सब लिखा था कौन सी चीजें कहां रखी है। कौन सी चीजें लानी है वो सब। चीजों कि पर्ची देखी तो उसे समझ आया कि सीमा कितने खुद के पैसे जोड़ती थी!

वहां एक और पर्ची पड़ी थी। उसमे लिखा था तुम्हारे लिये एक और तोहफ़ा है, रूम मे गया तो लगा जैसे शादी के पहले के वो सारे लम्हे लौट आये। रूम की दीवार पर लिखा था,"Happy 2nd Marriage Anniversary My Love!"

अत्तर, कार्डस, तस्वीरे, कोलेज समय कि कही यादें। जब सीमा उसके लिये कोई परी से कम ना थी। सब से उपर के कार्ड मे लिखा था,"sima!I love you sweetheart!you are my breath,you are my life !I can't live without you!"

(सब देख सारांश का सारा गुस्सा, अभिमान सब बह गया। सिर्फ प्यार ही रहा जो पहले था।)

सारांश को अहसास हुआ कि उसने सीमा के साथ कितना गलत किया। सीमा उसके लिये कितनी जरूरी थी, है और हमेशा रहेगी।

उसने मोबाइल निकाला सीमा को फोन करने के लिए।

फिर,काट दिया और गाड़ी निकाली, रास्ते मे से सीमा कि पसंद का गुलदस्ता लिया। बलुन लिए और पहुंच गया सीमा के घर के पास झिझकते हुये। सीमा अकेले ही थी। उसके माता-पिता दो दिन से यात्रा पर गये हुये थे।

सीमा ने सारांश को देखा उसकी आंखे भर आयी।

सारांश दौड़ता हुआ गया और उसने सीमा को अपनी बाहों मे समेट लिया। उसके मनपसंद गुलदस्ता देकर फिर से प्रपोज़ किया।


सारांश: सीमा !तू जरूरी नहीं बहुत ही जरूरी है मेरे लिये। मुझे अहसास हो गया है। क्या एक बार तुम्हें प्यार करने का, तुम्हारे साथ आखिरी दम तक जीने का मौका दोगी मेरी परी?"

सीमा: आंसूओं से आँखें भर आयी। और गुलदस्ता पकड़ते हुये उसने भी सारांश को चूम लिया और फिर सारांश सीमा को केन्डल लाईट डिनर पे ले गया।


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