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Devraj Sharma

Romance

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Devraj Sharma

Romance

तुम्हारा आखिरी पत्र

तुम्हारा आखिरी पत्र

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 बहुत दिनों बाद उसके नाम का एक पत्र आया पर इस बार खत को देखकर कोई खुशी नहीं थी। उस रात फिर इसी विचार में रहा कि पत्र पढ़ूँ या ना, सोचा बिना पढ़े ही जवाब लिख दूंगा, एका एक ख्याल आया कि शायद तुम वापस आ रहे हो, नहीं तो इतने अरसे बाद पत्र क्यूं, मन में कई विचार थे, शायद फिर एक नई शुरुआत हो या तुम्हें मेरे प्रेम का एहसास हो गया होगा। इन सभी विचारों को लेकर मैं सोचने लगा कि पत्र पढ़ूँ कि....... । फिर अपने प्रेम की गहराइयों में कहीं झांक कर देखा तो एक ही आवाज आई कि वो वापस आना चाहता है। थोड़ा समय लेने के बाद सभी मतभेदों को खतम कर निश्चय किया पत्र पढ़ने का। पत्र चूंकि तुम्हारा था तो सीने से लगा के महसूस करने की कोशिश की और बड़े प्रेम भाव से पत्र खोला। शुरू के शब्द, वाक्य ,वही थे जो तुमने हमारे प्रेम को जाहिर करते पत्रों में लिखे थे, और मैं ये सब देख कर बहुत प्रफुल्लित हो उठा, भूल गया जो भी कुछ मुझे पूछना था इतने अरसे तक क्यूं दूर रहे, क्यूं ........।

फिर अपने हैसियत के प्रेम की सीमाएं ना लांघते हुए, पत्र आगे पढ़ने की सोची, मेरे चेहरे की मुस्कान यूं कम तो नहीं हुई मगर हृदय में कुछ पीड़ा हुई, मैं सोचने लगा कि कोई इतने कठिनतम, पीड़ादाई प्रेम के हिस्से का वर्णन इतने सहज और सरल लहजे में कैसे कर सकता है, मैं सोचने लगा कि तुम इतना अच्छा लिख सकती थी, विरह को इतना सरल किसी ने नहीं लिखा होगा और मैं तुम्हें साहित्य की बहुत बड़ी लेखिका का दर्जा देना चाहता था, मैं तुम्हारे और साहित्य के मिलन से परस्पर खुश था, और तुम्हारे पत्र की जगह सब किताबों से अलग सबसे ऊपर रखने की सोची , मैं तो प्रेम तुम्हारा मेरा मिलना समझता था , मसलन असल प्रेम तो तुम्हारा , एकांत दुनिया और साहित्य का था, मेरे साथ रहकर कब तुम साहित्य की प्रेमिका बन गईं पता ही नहीं चला। मगर सांसारिक दुनिया में तुम साहित्य को जीवनसाथी मानकर आगे कैसे जीओगी ये सब विचार मेरे हृदय के आसपास ही कहीं थे, और तुम अभी भी मेरे हृदय के समीप थे।

तुम्हारा और मेरे प्रेम में विरह, कहीं तुम्हारा साहित्य से मिलन, एक नए प्रेम की कहानी।

तुम्हारा आखिरी पत्र और मेरी छोटी सी यही कहानी।



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