parineeta 💝pk💝

Romance

3.6  

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तुम ही हो

तुम ही हो

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एक सीधी सी लड़की "खुशी" जो दुनिया से बेखबर।सिर्फ पढ़ाई और परिवार के अलावा कुछ ना जानती हो।फैशन का पहला अक्षर भी पता ना होता था।

दोस्ती समझ कर जो निभाती रहती थी वो टोर्टयू से कम नहीं था।सीधी होने के साथ वो काली भी तो थी भला काले लोगों कि कोई औकात भी है इस दुनिया में।वह तो सिर्फ दया के पात्र है।

उसने कभी खुद को दूसरे से ज्यादा नहीं समझा।उसे तो लगता था के भगवान् ने उसे यहाँ भेजा हे तो दुःख देने के लिए।ज़िंदगी से कोई ख्वाईश् नहीं किसी से कोई शिकायत भी नहीं।बस एक उम्मीद लिए जिए जाती रही कोई ना कोई तो बना होगा उसके लिए जो उसे समझेगा ।वह् जैसी है उसे ऐसे ही अपनाएगा।

ऐसे ही भक्त बीतते रहे खुशी गांव से सहर की तरफ चली महिला कॉलेज|होस्टल में रहने लगी जहां का परिवेश उसे अच्छा ही नहीं लगा|वहां सिर्फ शादी की बातें चलती रहती थी जो उसे बिलकुल अच्छा नहीं लगती थी |फिर उसकी एक दोस्त कि मदद से वह बहुत दूर चली आई उस माहौल से जहां उसे थोड़ा सा सुकुन मिला|

फिर वहां से वो बस से जाने लगी..धीरे-धीरे खुशी दुनिया के बारे में कुछ कुछ जानने लगी| उसी बस से आते जाते उसे एक दोस्त मिला जो कि अच्छा था। तब तक खुशी को सिर्फ दोस्ती का एहसास था मगर धीरे-धीरे उसे ऐसा लगा कि यह रिश्ता उस से बढ़कर एक नया मोड़ ले रही है ।इसीलिए वो धीरे-धीरे उस रिश्ते से खुद को अलग करती रही ,और वह कामयाब भी हो गई मगर उसके बाद शुरू हुई उसकी कशमकश मेरी बंदगी जिसने उसकी जिन्दगी को झंझोर के रख दिया उसकी जिंदगी में भी यह नहीं सोचा होगा कि उसकी जिंदगी में ऐसी हलचल मच जाएगी.....

प्यार और दोस्ती में फर्क क्या है

कोई बताएगा मुझे

प्यार में दोस्ती कि अहमियत नहीं ।

तो वो प्यार कैसी

और दोस्तों के बीच प्यार नहीं तो 

भला वो दोस्ती कैसे हुई ।।

तुम मेरे लिए एक कहानी जैसी हो गए जिसे ना मै पढ़ सकती हूँ और ना किसी के सुना सकती हूँ।रातों में बहता हुआ हर आँसूं तेरे ना होने का दर्द बयां करता हे ,जिसे मेरे कान सुन लेता हे मगर धड़कन समझना नहीं चाहती। आखिर कैसे बताऊँ इस दिल को जिसका इन्तेज़ार् वो कर रही हे उसका कोई वजूद नहीं।वो प्यार प्यार नहीं जो एक तरफ़ा हो।चाहे तुम उसे कितनी भी सिद्दत से चाहो वो तुम्हारे नहीं ।

और तब तो प्यार का माईना बदल जाता हे जहाँ दोस्ती बात रखी हो ।दोस्त दोस्त बन के रहना चाहिए उसकी हद बस वहीं तक हे ,प्यार केसे हो सकता हे भला ये तो पाप हे ये नहीं होनी चाहिए ।लेकिन खुशी ने वो पाप किया।अरे नहीं नहीं हो गया ।प्यार को किया नहीं जाता हो जाता हे ना ...मगर इसे अगर पाप माना जाए तो भी ये प्यार हि है ये भी हो गया ....हाँ ये हो गया ।दोस्त से प्यार हो गया अगर गलत तो गलत हि सही पाप तो पाप हि सही ...बस हो गया ।

 

 

 


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