टेलीफोन नंबर
टेलीफोन नंबर
वो घर की सफाई कर रही थी। अचानक किताबों की अलमारी से एक किताब नीचे गिरी,और उसमें से एक पुरानी पर्ची फर्श पर आ गिरी, उसे हाथ में ले वो चौंक गयी।
यह पुराना टेलीफोन नंबर था, उस पर्ची का सिरा थामे वो अतीत में खो गयी, जब वो उसे पढ़ाता कम और मारता ज्यादा था
और बात बात पे कहता था,
"अरे कुछ पढ़ ले झल्ली यह पढ़ाई ही तेरे काम आएगी।"
वो मुस्कुरा देती,तब वो कहता।
" दुनिया को समझने के लिए पढना ज़रूरी है।"
उस वक़्त वो खिलखिला कर कहती ,
"तू पढ़ रहा है न मुझे समझा दीजो।"
वो सूनी निगाहों से उसे देखता और कहता,
"अरे मैं क्या हमेशा रहूँगा? अब बड़ी हो जा।"
पर वो अपनी ज़िद्द पर अड़ी खुद तो बड़ी नहीं हुई हाँ घर वालो के लिए बड़ी हो गयी। और उसकी शादी तय कर दी गयी।
उस दिन वह बड़े शहर चला गया पढने के लिए।
उसकी शादी में वो आया और एक टेलीफोन नंबर उसे दे गया और कहा,
"यह मेरा नया नंबर है कभी नहीं बदलूँगा, जब कभी झल्ली बड़ी हो जाये मुझे एक कॉल कर लेना।"
जाने क्या सोच उसने वो नंबर डायल कर दिया और। और ५ मिंट के चुप्पी के बाद एक आवाज़ आई
"कैसी हैं झल्ली ,बड़ी हो जा अब भी नाक बहते तेरे रोते हुए,रुमाल रखा कर".....