तेरा मजहब कौन
तेरा मजहब कौन
मस्जिद पर गिरता है
और मंदिर पर भी बरसता है
ए बादल बता
तेरा मजहब कौन सा है।
इमाम की तू प्यास बुझाए
और पुजारी की भी तृष्णा मिटाए
ए पानी बता
तेरा मजहब कौन सा है।
मजारों की शान बढ़ाता है
और मूर्तियों को भी सजाता है
ए फूल बता
तेरा मजहब कौन सा है।
सारे जहां को रोशन करता है
और सृष्टी को भी उजाला देता है
ए सूरज बता
तेरा मजहब कौन सा है।
कभी ईद पर इंतजार
और कभी करवाचौथ पर दीदार
ऐ चांद बता
तेरा मजहब कौन सा है।
मुस्लिम तुझ पर कब्र बनाता है
और हिंदू आखिर तुझमें ही
विलीन होता है
ए मिट्टी बता
तेरा मजहब कौन सा है।
