Ervivek kumar Maurya

Inspirational

4.0  

Ervivek kumar Maurya

Inspirational

स्वयं की दास्तां

स्वयं की दास्तां

4 mins
278



 मैं विवेक कुमार मौर्य ,जन्म 13 जुलाई 1992,पिता श्री वेद प्रकाश मौर्य,माता श्री मती मिथिलेश देवी,पूर्व छात्र लाल जी प्रसाद सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज बम्हनपुर खीरी,संप्रति सहायक अध्यापक बेसिक शिक्षा परिषद उत्तरप्रदेश ।

मेरा जन्म 13 जुलाई 1992 को उत्तरप्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के ब्लॉक निघासन के पिरथीपुरवा गाँव में श्री वेद प्रकाश मौर्य जी के यहाँ हुआ ।

पिता जी एक शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं । जब मेरा जन्म हुआ,उस समय मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ही ख़राब थी । मेरे पिता उस समय प्राइवेट संस्थानों में शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे ।पिता जी ने अपने जीवन में बहुत सारी कठिनाईयों का सामना किया । जन्म देने वाली माँ ,जो बच्चे के हर दुःख -सुख में उसका साथ निभाती है । ऐसी मेरी गृहिणी माता जी ने बहुत सारे कष्टों को सहा और देखा भी ।आर्थिक दशा ठीक न होने के कारण कभी-कभी तो हम लोग भूखे पेट ही सो जाया करते थे । पिता जी की मेहनत व उनका संघर्ष सफल हुआ ।उन्हें बेसिक शिक्षा परिषद उत्तरप्रदेश में शिक्षक के रूप में सेवा प्रदान करने का अवसर प्राप्त हो गया ।

मैंने कक्षा 8 लाल जी प्रसाद सरस्वती विद्या मंदिर बम्हनपुर खीरी से,हाईस्कूल रामाधीन इंटर कॉलेज बम्हनपुर खीरी से,इंटर सरस्वती विद्या निकेतन इंटर कॉलेज गोला गोकर्णनाथ खीरी से एवं स्नातक की डिग्री बी.टेक(कंप्यूटर साइंस) इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट मथुरा से की । जब स्नातक की डिग्री करने गया तो वहां आर्थिक रूप से कमजोर पड़ गया,तो अपना खर्च चलाने के लिए मैं बच्चों को एवं अपने मित्रों को ट्यूशन दिया करता था ।फिर अपनी मेहनत एवं माता-पिता के आशीर्वाद को लेकर सफलता की प्रथम सीढ़ी पे चढ़ने के लिए अग्रसर हो चला ।

मैं अपने जीवन में काँटों भरी राह पे बहुत चला । मेरे जीवन के पाँव में संघर्षों के शूल चुभे,फिर भी मैं अपने पथ पर निरन्तर चलता गया ।

मुझे अपने मंजिल पर पहुँचने के लिए कई सारी चीजों का त्याग करना पड़ा ।त्याग करने में मेरे पास था भी क्या ?

मुझे आधा पेट भूखा या कभी-कभी भूखा पेट सोना पड़ता,सर्द रात में मखमली बिस्तरों का अभाव तथा माया का जाल तो था ही नही ।इन सभी चीजों से ,मैं अपने मंजिल की ओर बढ़ता गया । मुझे कई बार हार का सामना करना पड़ा ,लेकिन मैं कभी खुद से नही हारा ।

जीत हम तभी सकते हैं,जब हमें हार का सामना करना पड़ा हो । क्योंकि असफलताएं हमें जीतने का सबक देती हैं या फिर असफलता ही सफलता की कुंजी है । हम अतीत से हमेशा घबराते हैं,परन्तु अगर हम अतीत को गले लगा लें ,तो वही अतीत हमारा शिक्षक बन जायेगा ।

वो कहते हैं "मन के हारे हार है,मन के जीते जीत" मुझे विश्वास था कि मैं एक दिन सफल जरूर होऊँगा । जब कभी मेरा मन डगमगाता था तो ये गीत अक्सर गुनगुना लेता था-

* कोशिश करने वालों की हार नही होती

* हम होंगे कामयाब एक दिन

मैंने जिंदगी को कभी मोमबत्ती की तरह नही समझा । मैंने इसे एक सूरज की तरह माना, जिससे मैं अपने प्रकाश को आने वाले समय में चारों तरफ प्रकाशित कर सकूँ ।

मुझे हमेशा यह लगता है कि भाग्य हमेशा खुद के मेहनत से ही बनता है । हमें जीतने के लिए काम का प्रयोजन और दृढ़इच्छाशक्ति रखना आवश्यक है,तभी हम सफल हो सकेंगे ।

मैं इस समय बेसिक शिक्षा विभाग उत्तरप्रदेश में सहायक अध्यापक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा हूँ ।मुझे सामाजिक कार्यों को करने में ज्यादा रूचि है । किसी भी असहाय व असमर्थ को सहारा देना व उसकी मदद करना,मेरे जेहन में हमेशा विद्यमान रहता है ।

मैंने संघर्षों भरे जीवन में एक स्वरचित गीत को अपने हृदय के भावों से लिखा है -

जीने की राह छोड़ दूँ

ऐसा तो मैं नहीं हूँ,

साहस मुझमें है अभी

कायर तो मैं नहीं हूँ।

जीने की राह छोड़ दूँ,

ऐसा तो.................


जीवन भी एक है तो

पानी का बुलबुला,

कब कैसे फूट जाये

ये किसको क्या पता।

जीवन बड़ा कठिन है,

उलझा तो मैं नहीं हूँ।

जीने की राह छोड़ दूँ,

ऐसा तो..................


मकड़ी हमें सिखाती,

कैसा है जाल बुनना।

मोहमाया के जग में,

खुद तो नहीं है फसना।

गर कुछ बना नहीं हूँ,

बिगड़ा तो मैं नहीं हूँ।

जीने की राह छोड़ दूँ,

ऐसा तो...................


नन्हीं चींटी हमको,

अथक परिश्रम सिखाती।

कुछ दूर चढ़ है जाती,

फिर गिर के है, फिर चढ़ जाती। 

गर बुलन्दी पे मैं नहीं हूँ, 

हारा तो मैं नहीं हूँ। 

जीने की राह छोड़ दूँ,

ऐसा तो....................


विपदा हमें सिखाती,

कैसे हमें है बचना।

समय के चक्रव्यूह से,

किस तरह हमें निकलना।

गर सफ़र में, मैं नहीं हूँ,

भटका तो मैं नहीं हूँ।

जीने की राह छोड़ दूँ, 

ऐसा तो मैं नहीं हूँ।  



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational