स्वर्ग का हाल
स्वर्ग का हाल


कहा जाता है कि मृत्यु के पश्चात् व्यक्ति स्वर्ग जाते हैं या उनके नाम के आगे स्वर्गवासी लग जाता हैI आपको तो पता ही है कि हमारा भारत इस कोविड 19 की दूसरी लहर जैसी महामारी से लड़ रहा है यहाँ भारत केवल कोविड से ही नहीं अपितु सिस्टम की लापरवाही, हिन्दू-मुस्लिम मुद्दा, मास्क न लगाना, सोशल डिस्टेंस का पालन न करना, ऑक्सीजन की क़िल्लत आदि जैसी अनेक गंभीर समस्या से भी जूझ रहा हैI इस समय लोग गलतियों का भार एक-दूसरे के कन्धों पर डालने का प्रयास कर रहें हैं कोई भी व्यक्ति अपनी लापरवाही या अपनी गलती मानने को तैयार नहींI आइए इन्ही समस्याओं से सम्बंधित एक किस्से के द्वारा पता करने का प्रयास करते हैं कि आखिर गलती है किसकी?राजू और नितिन जिनका निधन कुछ महीनों पहले हुआ था स्वर्ग में बैठे बातें कर रहे थेI
राजू- “भाई, राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो गया होगा न?”
नितिन- “हाँ भाई हमने जो सपना देखा था वो सपना अब पूरा हो रहा हैI हमने कितनी लड़ियाँ लड़ी थी इस मंदिर के लिएI”
राजू- “हाँI किन्तु मेरे मन में एक सवाल बार-बार आ रहा हैI”
नितिन-“कैसा सवाल?”
राजू- “हम स्वर्ग से दर्शन करने कैसे जाएँगे?”
इतने में वहां रज़ा आ गयाI वह मुस्कुराते हुए बोला- “हाँ मुझे भी बताओ ज़रा कैसे दर्शन करोगे मंदिर के?
नितिन ने आश्चर्य से रज़ा को देखा और बोला-“तू यहाँ कैसे?”
रज़ा-“क्यों अब क्या स्वर्ग भी तुम्हारा है? अब हम यहाँ भी नहीं आ सकते क्या?”
राजू- “अरे! नाराज़ क्यों होता है? अब तो हमे यहीं रहना है तो एक साथ रहते हैंI तू मुझे ये बता कि तू कैसे स्वर्गवासी हो गया?
रज़ा- “क्या बताऊँ यार, तुम्हें तो पता है कि धरती पर एक साल पहले कोविड 19 जैसी महामारी आ गई थी कुछ समय बाद सब ठीक भी हो गया था पर अचानक फिर ये महामारी तेज़ी से बढ़ने लगी और मैं भी इसकी चपेट में आ गयाI”
नितिन- “फिर, तुमने इसका इलाज नहीं कराया? हर रोग का इलाज तो है धरती परI”
रज़ा- “इलाज तो है पर मरीज़ इतने हैं कि आस्पताल कम पड़ गएI रोगियों की लम्बी-लम्बी कतार लगी हुई है मैं भी उसी कतार में खड़ा था लेकिन मुझे नहीं पता था कि मैं उस कतार से सीधा जन्नत में आ जाऊंगाI”
राजू- “आस्पताल! ऐसा-कैसे हो सकता है? भारत में तो बहुत सारे आस्पताल हैं तो कम कैसे? सिस्टम ने कोई व्यवस्था नहीं की?”
रज़ा- “क्युंकी रोगियों की संख्याँ ज़्यादा है और सही बात तो ये है कि हम लोग मस्जिद और मंदिर के लिए लड़ते रहे हमने कभी इस बात के बारे में सोचा ही नहीं कि मस्जिद-मंदिर के अलावा और कौन से मुद्दे हैं जिसे हमे देखना चाहिए और सिस्टम को तो तुम जानते ही हो अगर सिस्टम सब तैयारियां पहले ही कर लेता तो उनकी वाह-वाह हो रही होती लोग उन पर सवाल न उठातेI”
नितिन- “हाँ, ठीक बोल रहे हो भाईI काश हम एक-दूसरे से लड़ने कि जगह एक साथ होकर अपने देश की समस्याओं को दूर करने के लिए लड़ते
तो आज ये हालात नहीं होतेI”
राजू ने भी इस बात पर सहमति से अपना सर हाँ में हिलायाI
रज़ा ने अचंभे से एक व्यक्ति (जो अभी स्वर्ग में आया है) की ओर देखते हुए बोला-“मिया शाकिर साहब! आप भी?
शाकिर-“हाँ मियाI हमे तो लगा था कि ये कोविड 19 जैसी कोई बीमारी है ही नहीं इसलिए कभी मास्क नहीं लगाया”
रज़ा ने शाकिर को बीच में रोकते हुए पूछा -“अभी कुछ दिनों पहले ही तो आप 4-5 मास्क खरीद रहे थेI”
शाकिर-“हाँ, पर वो तो सिर्फ पुलिस कि मार और 2000 रुपए के चालान से बचने के लिए थेI मुझसे नहीं पहने जाते ये मास्क-वास्कI”
नितिन ज़ोर से हँसते हुए- “वाह! शाकिर साहब, मास्क तो आपको सिर्फ मुहं पर पहनना था वो आपसे पहना नहीं गया और अपने पूरे शरीर पर ये सफ़ेद कफ़न पहनकर यहाँ आना मंज़ूर हो गयाI मास्क न पहनने से पहले अपने परिवार के बारे में नहीं सोचा कि आपके बाद उनका क्या होगा?”
राजू व्यंग्यात्मक लहज़े में-“शाकिर मिया सलाम है आपकी ऐसी सोच कोI”
नितिन-“वो देखो भाईयों कौन आ रहा है?”
रज़ा- “ये तो वही है जो हमसे बोलता था कि ये बहुत अमीर है इसके पास दो बंगले, चार कार हैं और भी बहुत कुछ बताता थाI मुझे तो लगता है ये झूठ बोलता थाI”
राजू- “ये आदमी ऐसे ही अमीर नहीं बनाI मैंने सुना था कि इसने प्रॉपर्टी बेचने के लिए बहूत सारे पेड़ कटवाए हैंI”
शाकिर- “बिल्डर साहब आप! आप तो आस्पताल में वी आई पी रूम में थे और आपको हमसे अच्छा ट्रीटमेंट मिल रहा था फिर भी आप यहाँ”
बिल्डर साहब-“था तो सब लेकिन जिस हॉस्पिटल में मैं एडमिट था उसमे ऑक्सीजन कि कमी हो गई थी ऑक्सीजन न मिलने कि वजह से मैं यहाँ हूँI मेरी अंतिम साँसों के साथ मुझे याद आया मैंने कितने पेड़ कटवाए थे एक बार भी ये नहीं सोचा कि हमे और इस दुनिया को कितनी ज़रूरत है ताज़ी हवा कीI अगर पहले पता होता तो पेड़ काटने कि जगह पेड़ लगवाताI”
वहां पास ही एक बच्चा ज़मीन पर बैठ कर अपने हाथों की उंगली से ज़मीन पर कुछ लिख रहा थाI सब ने उसकी ओर देखाI नितिन से रहा नहीं गया उसने बच्चे को पुकाराI बच्चा पास आया उसके चहरे पर मन मोह लेने वाली मुस्कान थीI
नितिन- “बेटा, क्या लिख रहे हो ज़मीन पर ?”
बच्चा- “पत्र लिख रहा हूँI”
रज़ा जिज्ञासा से-“पत्र! किसको?”
बच्चा-‘”अपने दोस्तों को लिख रहा हूँI”
शाकिर- “क्या लिख रहे हो पत्र में हमें भी बताओI”
बच्चा- “मैं उन सबको यहं बुला रहा हूँI धरती पर लोग लड़ते रहते हैंI पेड़ काट देते हैं जिससे सही से ऑक्सीजन भी नहीं मिल पाती I मास्क भी लगाना पढ़ता है, हम बहार खेल भी नहीं सकतेI इसलिए मैं अपने दोस्तों को यहाँ स्वर्ग में बुलाऊंगा यहाँ सब एक साथ रहते हैं कोई लड़ाई नहीं करता और किसी को मास्क या ऑक्सीजन लगाने कि भी जरूरत नहीं होगीI”
बच्चे की ये बात सुनकर सभी मौन हो गए अपना सर झुकाए आँखें नीचे किए खड़े रहे I