STORYMIRROR

Suraj Singh

Romance

3  

Suraj Singh

Romance

स्वप्न

स्वप्न

4 mins
302

'ये वही लड़की थी, जो कहती थी हम कभी एक नहीं हो सकते, अर्चन।'

पर ये भी तो सच था कि वो बहुत प्यार करती थी मुझसे या शायद अभी भी करती है।

याद है अब भी कैसे छोटी-छोटी बातों पर परेशान होकर वो कहती थी, 'अर्चन, I need tight hug.'

मैं भी सोचता था जिस दिन हम बिछड़ गए उस दिन क्या होगा हमारा..., काश ये जिन्दगी ख़तम हो जाए जल्दी से....

ताकि कोई चिंता ही ना रहे, कोई दर्द ही ना रहे...

जाने आज कैसे संभाल पा रही होगी वह खुद को...

कितनी खूबसूरत दिख रही है, वह इस शादी के जोड़े में। आखिर वह दिन आज आ ही गया था, जिसका क्या पता हम इंतज़ार कर रहे थे या हम उससे दूर भागने की कोशिश। सच्चाई हम दोनों ही के आँखों के सामने थी। वह मंडप में सजी दुल्हन थी और मैं दूर खड़ा एक मेहमान, जिसे कोई भी तो नहीं जानता था। पर एक दिल था वहाँ जो बस मुझे ही जानता था, बाकी सब अंजाने थे उसके लिए, आज उसका दर्द शायद मैं भी नहीं समझ सकता था।

दूर थे हम एक दूसरे से, बहुत दूर.. पर कानों में उसकी ही आवाज़ सुनाई दे रही थी। जैसे कि वह कह रही हो, 'तुम्हारी जरूरत है आज। दूर मत खड़े रहो, पास आओ और थाम लो मुझे.. मैं संभल नहीं पाऊँगी अब।' आखिर संभल भी कैसे पाती, कहने को घर में बड़ी थी, पर मन तो उसका छोटा सा था। याद है आज भी, कैसे किसी रात एक छोटा सा दूर होने का खयाल हम दोनों को जगाए रखता था। पर अब तो हम बहुत दूर हो रहे और शायद फिर कभी मिल भी ना सके।

शायद मुझे कुछ करना चाहिए, पर मेरा कुछ करना भी गलत होता। चाह रहा था वो आए और मेरा हाथ पकड़ कर कहे, 'अर्चन, चलो भाग चलते है, इस दुनिया से दूर... किसी की कोई चिंता किए बगैर..' पर वो मेरी तरह लापरवाह नहीं थी, उसे चिंता थी अपने परिवार की, अपने भाई बहनों की, अपने पिता की, अपनी इज्ज़त की...

सोचते-सोचते ना जाने कब उसके दूर होने का वक़्त सामने आ गया। मैं चाहता था कि वो आए और एक आखिरी बार मुझे अपनी बाहों मे भर ले। मैंने सोचा तो नहीं था कि ऐसा कुछ होगा, पर अचानक ही वो मेरे आँखों के सामने थी।

वो खड़ी थी मेरे पास, मेरे सामने, उसके पीछे खड़े थे उसके रिश्तेदार... मेरे दुश्मन आखिर दिल तो उन्हे दुश्मन ही समझ रहा था उस वक़्त। आजतक कभी उन आँखों मे आँसू नहीं देखे थे मैंने। कितना दर्द था, उस मासूम से चेहरे पर। ना वो मुझे कुछ कह रही थी ना मेरे लब हिल रहे थे। जैसे आंसूओं की धाराये बस धरती पे गिर कर मिल जाना चाहती हो। जैसे किसी रोज हम मिल जाते थे एक दूसरे में .. सब मंज़र एक झोंके के साथ आँखों के सामने आ गए हो जैसे...

हर बार मैं उसे अपने गले से लगा लेता था, पर आज उसकी बारी थी सब कुछ वापस करने की, आज उसे लगाना था मुझे गले से।

आखिर आंसूओं की वो धार जमीन पर एक दूसरे से जा मिली, दोनों ने सब बंदीशे तोड़ कर एक दूसरे को गले लगा लिया। दोनों ही शांत, पूरी महफिल जैसे दर्शक की तरह देखती रही। दोनों की आँखें बंद, दोनों एक दूसरे मे समाये हुए।

पता नहीं क्या हुआ था कि कोई उन्हे दूर करने भी नहीं आता था। फिर अचानक किसी ने आकर उसे पकड़ कर दूर करने की कोशिश की। अचानक ही दोनों शरीर जो अब तक एक दूसरे को जकड़े हुए थे गिर पड़े। दोनों को अलग करना जैसे मुश्किल सा हो गया। दोनों की सांसों ने जैसे एक दूसरे में समा कर शांत कर लिया हो खुद को। पर दोनों एक दूसरे को जकड़े हुए थे। जैसे कोई लाश अकड़ जाती है मौत के बाद वैसे ही वो अकड़ गए थे प्रेम के दबाव में। दोनों के दोनों वही एक जान या कहे तो बेजान हो गए थे। किसी दूसरी दुनिया मे चले गए थे, एक दूसरे को बाहों मे थामे हुए।

फिर अचानक लगा कि कोई दूर ढकेल रहा हो मुझे उससे, 'अर्चन, दूर हो... ऐ पागल.. दूर हट दुष्ट...'

फिर अचानक आँखें खुली और मेरा छोटा भाई मुझे दूर करने में लगा हुआ था, जिसे मैंने अपना प्यार समझ कर उसकी जान ही ले ली थी, अपनी बाज़ूओं में ..

समझ नहीं आता वो अच्छा स्वप्न था या बुरा पर जो भी था बहुत खूबसूरत था... मेरे सारी ख़्वाहिश कैसे एक चित्र में पूरी हो गयी थी। हम मिले भी नहीं फिर भी एक हो गए थे।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance