सवाल

सवाल

4 mins
273


उसका प्यार से मेरी ओर देखना और कभी न लौट आने के लिए चले जाना मेरी रूह में उतरे खंजर का अक्स बन गया।”


कागज़ पर उतरते हुए ये अल्फाज़ मेरी आंखों में नमी दे गये। मैंने डायरी में पेन रखा और डायरी बंद कर बालकनी में कुर्सी डाल कर बैठ गई। यही वह जगह थी जहां मैं आसमान में उड़ते परिंदों से अपने अतीत की गुफ्तगू कर सकती थी। शाम को अपने घोंसलों में लौटते हुए नन्हे परिंदे अपनी चहचहाट से मेरी बातों में अपनी दिलचस्पी दर्ज करते हुए मेरी तन्हाई को कुछ देर तक अपने साथ ले जाते।


मैने सोचा भी नहीं था कि उसके आने पर मेरी जिंदगी के सामने ना जाने कितने ही सवाल खड़े हो जायेंगे, जिनके जवाब शायद ही वक्त की किसी एक किताब में मिल पाये। उसके साथ मेरी जिंदगी एक सवाल पर ही तो शुरू हुई थी।

“एस्क्यूज मी क्या आप थोड़ा उधर हो सकती है अगर आपको कोई दिक्कत ना हो तो?” एक मंझले कद और सुडौल काठी का सांवला नौजवान जो काफी देर से खड़ा हुआ था, आकर मुझसे पूछता है।


मैने उसकी तरफ ध्यान से देखा। काले रंग की टीशर्ट और आंखों पर नजर का चश्मा, पैरो में हवाई चप्पलें और हाथ में एक बैग था जिसमें से खटर-पटर की आवाज़ आ रही थी।

मैं थोड़ा घबरा गई क्योंकि वहां पर एक आदमी के बैठने की पूरी जगह थी। मेरे थोड़ा खिसकने पर वह लड़का खिड़की से एकदम लग कर बैठ गया। अब हमारे बीच में काफी जगह थी। मुझे अब डर से ज्यादा कुछ अजीब सा लग रहा था क्योंकि मेरे मुताबिक उसने अपने बैठने के लिए मुझसे जगह बनाने के लिए कहा था।


अपने आप बैठने के बाद उसने हमारे बीच उस बैग को रखा जिसमें से कुछ खटर-पटर की आवाज़ आ रही थी। अब मेरी दिल की धड़कने तेज हो चुकी थी कि पता नही यह लड़का बैग में से क्या निकलेगा? कही कोई बन्दूक-वन्दूक तो नहीं। कही यह लड़का मुझे लूटने वाला तो नही? क्राइम शो में दिखाया गया वह मासूम सा चेहरा जो बाद में एक लुटेरा कातिल निकलता था, मेरी आंखों के सामने घूम गया।


मैं घबरा कर कुछ बोल पाती या उससे कुछ पूछ पाती, इससे पहले ही उसने अपनी जेब में से एक छोटी सी दूध की बोतल जिस पर ढक्कन लगा हुआ था, निकाली और ढक्कन खोल कर बैग के अंदर डाल दी। मैं एक दम हैरान थी कि यह लड़का बैग के अंदर दूध क्यो डाल रहा है? मैने धीरे से बैग के अंदर झांक कर देखा तो मेरी हँसी छूट गई। हालांकि बस में लोग होने की वजह से मैने अपनी हँसी दबा ली थी लेकिन मेरे लिए यह काम किसी किले पर चढ़ाई करने से कम नहीं था। दरअसल उस बैग में एक बड़ा ही प्यारा सा छोटा सा डॉगी था जिसे वह लड़का दूध पिला रहा था।


“आप हँस क्यो रही हैं दीदी?” शायद उसने मेरे चेहरे पर आई उस दबी हुई हँसी को देख लिया था।

मुझे एहसास हुआ कि वह एकटक मुझे ही देख रहा था। मैं खुद को संभालते हुए बोली- “आई एम सो सॉरी। वो मुझे लगा कि तुम बैग में से कोई किताब निकालोगे लेकिन इसमें से तो..….”

“धीरे बोलिये दीदी। अगर किसी को पता चल गया तो हंगामा मचा के यही उतार देंगे और फिर हमें पैदल ही जाना पड़ेगा कॉलेज।” मैं आगे कुछ बोल पाती इससे पहले ही वह अपने मुँह पर उंगली रख कर फुसफुसाया।

“अच्छा ठीक है। किसी को कुछ पता नही चलेगा। वैसे इस प्यारे से डॉगी का क्या नाम रखा है तुमने? मैं भी फुसफुसा कर ही बोल रही थीं। उसके मुंह दीदी' शब्द का संबोधन मेरे और उसके बीच की झिझक खत्म कर चुका था।


“इसका नाम टुनो है। थोड़ा अलग है ना।” अब तक डॉगी जो हमारी चर्चा का विषय था, दूध पीते-पीते सो चुका था इसलिए वह बैग बन्द कर बोतल अपनी जेब रख चुका था।

अब उसने अपनी पीठ सीट पर टिकाई और आंखे बंद कर ली। खिड़की से आ रही ठंडी हवा उसके मन को सहला रही थी। मैने भी उसको डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझा और मैं भी पीठ टिका कर आंखे बंद कर चुकी थी।

जल्दी ही उस लड़के का कॉलेज नज़दीक आ चुका था शायद इसलिए वह बस से नीचे उतर गया। उतरने से पहले उसने केवल इतना ही कहा - “हो सका तो फिर मिलेंगे दीदी। आपका बहुत बहुत शुक्रिया।”


उतरते समय उसकी आंखों में नमी थीं। वह जानता था कि अब वह फिर कभी नहीं मिलेगा। वह लड़का जाते जाते मेरे सामने कुछ ऐसे सवाल छोड़ गया जिनका जवाब शायद ही मिल सकते हो।

सवाल था उसका मुझे दीदी कहना, उसकी आंखों की नमी, उसकी थकान और जाते जाते मुझे बड़ा बना जाना। शुक्रिया क्यों किया था उसने इस पहली ही मुलाकात में?

यह सवाल आज भी किसी खंजर से कम नही मेरे दिल को तार तार करने के लिए।


“कंचन, टीवी का रिमोट कहाँ है? पीछे से आवाज़ आई।

अब इस सवाल का जवाब तो बच्चे ही जानते होंगे।

















Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama