सूर्य को जल अर्पण करना
सूर्य को जल अर्पण करना
आज सुबह जैसे ही मैं स्कूल जाने के लिए तैयार हो रहा था तभी मां कमरे में आई ,उसके हाथ में तांबे का लोटा जो के जल से भरा हुआ था, मेरे हाथ पर रख दिया । फिर वह बोली " जाओ सूरज को जल चढ़ा दो।" पर पता नहीं क्यों आज मेरा मन नहीं कर रहा था जल चढ़ाने को ।ऐसा नहीं है कि यह काम मैं पहली बार कर रहा था । मैं यह सब सोच ही रहा था तभी पिताजी आ गए और बोले-" क्या हुआ बेटा जाते क्यों नहीं हो!" " पापा" मैं बोला" सूरज को जल चढ़ा कर हम पानी क्यों बर्बाद कर रहे हैं। हम सूर्य नमस्कार कर कर भी तो सूर्य पूजा कर सकते हैं।" तब पिताजी बोले-" बेटा तुम ठीक कह रहे हो।पर सूरज को जल चढ़ाना भी सूर्य नमस्कार का ही एक हिस्सा है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं। जब हम सूरज की और देख कर गायत्री मंत्र का जाप करते हुए जल चढ़ाते हैं तो हमारी नेत्र ज्योति बढ़ती है और हमें विटामिन डी भी मिलता है। रही पानी बर्बाद होने की बात तो उसका भी उपाय निकालते हैं। तुम जल जाते समय पास में रखा हुआ गमला अपने सामने रख लिया करो। फिर जब तुम जल चढ़ाओगे तो सारा जल गमले में चला जाएगा।इससे हमारा पानी भी बच जाएगा और सूर्य नमस्कार भी हो जाएगा।" यह सुनकर मैं बहुत खुश हुआ। मैंने ऐसा ही किया। सच में सूरज को जल चढ़ाते वक्त जो शांति मिली वह अद्भुत थी। धन्यवाद पिताजी सही दिशा दिखाने के लिए!