स्थिर जीवन

स्थिर जीवन

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स्थिर जीवन कोई ऐसा जीवन नहीं है जिसने सुख-दुख या उतार चढ़ाव ना देखे हो। स्थिर जीवन का अर्थ है एक ऐसा जीवन जो तमाम सुख दुख और उतार चढ़ाव के बावजूद अपना वजूद बरकरार रखे। एक ऐसा जीवन जो वक्त के थपेड़ो से डगमगाए नहीं और एक ऐसा जीवन जो निरंतर बहता रहे ठीक उस नदी की भांति जो सभी बाधाओ को अपने मार्ग से हटाती हुई बहती है।" पीपल के नीचे बैठा साधू ध्यान मुद्रा से बाहर आते हुए कहता है।

यह साधु के प्रतिदिन का काम था ध्यान लगाना और फिर अपने शिष्यो को उपदेश देना।

" परन्तु गुरुदेव....एक शिष्य पुछता है....क्या ऐसा जीवन हो सकता है, क्या ऐसा जीवन धरती पर विद्यमान है? "

" निश्चित ही ऐसा जीवन धरती पर विद्यमान है और इसकी झलक हमे अनेक तत्वों मे मिलती है।"

" दूसरा शिष्य आदरपुर्वक झुक कर गुरू चरणों में नमस्कार करते हुए" गुरूवर वो कौन से तत्व है।

" सबसे पहला प्रमाण खुद धरती माँ है जो हर प्रकार की परिस्थिति मे अपनी स्थिरता बनाए रखती है और अपने प्रत्येक प्राणी को एक समान प्यार करती है। इसके बाद ये नदिया ये पर्वत ये, पशु पक्षी और ये पेड़ जो अपनी स्थिरता बनाए रखते है।

" किन्तु ऐसी स्थिरता जीवन मे कैसे लाई जाये" तीसरा शिष्य प्रश्न करता है।

" ऐसी स्थिरता केवल तभी लाई जा सकती जब मनुष्य का मन शांत हो कोई भय, लोभ, लालच आने वाले वक्त की व्यर्थ ही चिंता उसके मन को अशांत न कर सके।"

" परन्तु गुरुदेव....सबसे पीछे बैठा हुआ शिष्य खड़े होते हुए" क्या कोई साधारण मनुष्य ऐसी मन की शांति प्राप्त कर सकता है? ऐसा तो केवल कोई सिद्ध पुरूष अथवा स्वयं भगवान ही कर सकते है।

" केवल इसी दृष्टिकोण के चलते मनुष्य मार्ग पर चलने से पहले ही हार मान लेता है कि मै तो साधारण सा मनुष्य हूँ मै क्या कर सकता हूँ । मनुष्य को कभी ये नहीं भूलना चाहिए कि इस सृष्टि मे उत्पन हर प्राणी मे कुछ ना कुछ विशेषता होती है बस हमे उसे जागृत करने की आवश्यकता है।

"पीपल से टूटकर गिरते हुए एक पते की तरफ देखते हुए साधु कहता है" देखो इस पते को जो अभी अभी टूट कर गिरा है क्योंकि इसका जीवन काल समाप्त हुआ है ना कि पीपल का, पीपल तो अभी भी शांत और स्थिर है जैसे कुछ हुआ ही ना हो।"

"गुरूवर ऐसा कौन सा मार्ग है जो हमे स्थिर जीवन की और ले जाये?" एक अन्य शिष्य जो बहुत देर से शांत बैठा था पुछता है।

" केवल ध्यान ही वो मार्ग है जहाँ हमे अपने समस्त प्रश्नों के जवाब मिल सकते है।"साधु अपने शिष्य के प्रश्न का जवाब देकर पुनः ध्यानमग्न हो जाता है।


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