Deepali suyal Suyal

Tragedy

4.8  

Deepali suyal Suyal

Tragedy

सपनों की उड़ान

सपनों की उड़ान

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तीन बहनों में सबसे छोटी चौबीस साल की मेघना अभी- अभी अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री लेकर आई थी। एमएससी अच्छे खासे नंबर से पास करने के बाद मेघना ने यूजीसी एग्जाम क्लियर करने की ठानी। बस क्या था मेघना लग गई पढ़ाई में। दिन रात बस एक ही ख्वाब उसके दिमाग में चलने लगा वो था कॉलेज प्रोफेसर का,कैसे मैं वहां तक पहुंचूंगी?कब मैं आगे से खड़े होकर अपना सारा गुस्सा उन बच्चों पर निकालूगीं। सुमन मैम कितनी अच्छी साड़ी पहनती है कॉटन की। मैं भी बिल्कुल वैसी ही पहनूगीं।मां पापा कितने खुश होंगे।और ये समाज जो मां को हमेशा कहता था बेटी हो गई फिर से उन सबकी बोलती बन्द हो जाएगी।ना जाने क्या क्या उसके दिमाग में चलता था।अब मेघना ने दोस्ती भी कम कर दी थी। उसकी दोस्त सिर्फ वो कमरा और किताबें थीं।एक दिन उसे थोड़ा सा सिर दर्द महसूस हुआ। मां ने सिर दर्द की दवा दी।दर्द थोड़ा 

दर्द कम हो गया।फिर लग गई मेघना पढ़ने में, मां ने डांटते हुए कहा "थोड़ा आराम कर लो।इतना नहीं पढ़ते।" " मां तुम नहीं समझोगी कितने सपने हैं मेरे सो गई तो वो कैसे पूरे होंगे।।अब तो जब सपने पूरे होंगे तभी चैन की नींद लूंगी।दीदी ने तो आपकी पसंद के लड़के से शादी की मगर मैं नहीं करने वाली।मैं तो एक प्रोफेसर ही ढूढूंगी अपने लिए। मेघना को थोड़ा-थोड़ा सिर दर्द रोज होने लगा। कमर और पैरों में भी दर्द होता था। मां ने अपनी सहेली को ये बात बताई।आए दिन मेघना इस दर्द से जूझ रही थी।मां की सहेली ने कहा "ज्यादा देर ना करो सीधे किसी अच्छे से डाक्टर को दिखाने की हिदायत दी।"

मां अगले दिन मेघना को ले कर डॉक्टर के पास गई। डॉक्टर ने चेकअप के बाद कुछ टेस्ट कराने को बोला।तीन दिन बाद मेघना की रिपोर्ट मिली रिपोर्ट में कुछ ठीक नहीं था।डॉक्टर ने मेघना की मां को बताया।रिपोर्ट में कुछ ठीक नहीं है।मेघना को ब्रेन ट्यूमर है।आप जल्दी से इलाज शुरू कर दीजिए।बाहर खड़ी मेघना चुप चाप सबकुछ सुन रही थी। मेघना की मां ने मेघना को कुछ नहीं बताया बोला डॉक्टर बोल रहे हैं बस माइग्रेन की प्रॉब्लम है।।रोज चेकअप के लिए तुम्हें आना पड़ेगा हॉस्पिटल । और ये दवाइयां हैं जब तक ठीक नहीं हो जाती तब तक खानी पड़ेगी।मेघना के पिताजी बाहर जॉब करते थे। शाम को मेघना की मां ने उनको फोन पर सब बताया मानो पैरो तले जमीन खिसक गई। मगर मेघना को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।बीमारी ही तो है ठीक हो जाऊंगी।मुझे तो बस प्रोफेसर बनना है।इन सब बातों को सोच कर क्यों अपना समय बर्बाद करना।।मेघना किताबें खोल पड़ने में लग गई।आए दिन तबियत ज्यादा ही बिगड़ने लगी।लेकिन मेघना ने पढ़ना फिर भी नहीं छोड़ा।उसका दर्द अंदर ही अंदर उसे तोड़ रहा था मगर मेघना अपने सपने को पूरा करने में लगी थी।यूजीसी का एग्जाम मेघना दे अाई। मां से बोला देखना मेरे सपनों के आगे ये बीमारी कुछ भी नहीं ये ज़रूर हार जाएगी एक दिन।

तबियत ज्यादा बिगड़ने से मेघना को हॉस्पिटल में ही भरती करवाना पड़ा।हॉस्पिटल में मेघना कि हालत बहुत खराब हो गई थी।सब रो रहे थे जिंदगी के आख़री पलों से मेघना गुजर रही थी।तभी मेघना के एक दूर के रिश्तेदार का फोन कॉल मेघना की मां को आता है। उन्होंने कहा "बधाई हो मेघना ने यूजीसी की मैरिट लिस्ट में प्रथम स्थान पाया है।"और ये सुनते ही मेघना ने अंतिम सांस ली और हमेशा हमेशा के लिए चैन की नींद सो गई।


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