अन्तर्मन
अन्तर्मन
तृप्ति अपनी तीन बहनों में सबसे छोटी। दो बहनें गोरी चिट्टी और तृप्ति सांवली। तृप्ति जहां भी जाए सबका एक सवाल उसे अक्सर अंदर ही अंदर खा जाता। तू नहीं है इस घर की तुझे मन्दिर से उठा कर लाए है। अरे ये किस पर गई बहने तो बड़ी सुंदर और इसे देखो। तू ना अभी से हल्दी चंदन लगाया कर वरना बड़े होकर लड़का कैसे पसंद करेगा तुझे ना जाने उसके रंग को लेकर कितने ताने। बस अपने रंग और लोगो के सवाल से तृप्ति ने घर से बाहर जाना ही बन्द कर दिया। वैसे तो तृप्ति घर में बहुत चुलबुली और बाहर एक दम शांत। दादा जी हमेश सबसे कहते हमारे सामने बड़ी शेरनी बनी रहती है। घर में कोई नाते रिश्तेदार भी आए तब तृप्ति छुप जाती है तृप्ति की दुनिया स्कूल से घर और घर से स्कूल तक ही रह गई थी। फिर तृप्ति बारहवीं के बाद आगे की पढ़ाई के लिए गाँव से बाहर शहर के एक कॉलेज में गई
वहां सुंदर सुंदर लड़कियों को देख तृप्ति घबरा गई उसे हमेशा एक डर रहता था वो डर था गोरे लोगे से।
ना जाने क्यों अपने रंग को ही वो अपना दुश्मन बना बैठी थी। शायद ये सब समाज की ही देन थी जो लोग सांवले लोगो के लिए अलग नजरिया रखते हैकॉलेज की पढ़ाई के समय ही उसकी मुलाकात अतुल से हुई। अतुल कई दिनों से उसे देखता था मगर ख़ामोश तृप्ति को देख कर वह कुछ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाता थाएक दिन हिम्मत कर वो तृप्ति के पास गया जब तृप्ति ने उसे देखा तो वो घबरा गई।
इतना स्मार्ट सुंदर लड़का उससे क्यों बात कर रहा है। कही ये मेरा मजाक तो नहीं बनाएगा। अतुल ने जितना पूछा तृप्ति ने डरते मरते उतना ही जवाब दिया। फिर हर रोज तृप्ति से अतुल थोड़ा-थोड़ा बोलने की कोशिश करने लगा। अतुल बहुत अच्छा लड़का था और कॉलेज सचिव था धीरे-धीरे उन दोनों की अच्छी दोस्ती हो गई अतुल तृप्ति का पूरा साथ देता था उसे कोई भी मदद हो अतुल हमेशा आगे रहता था।
फिर एक दिन अतुल ने तृप्ति से पूछ ही लिया। तुम क्यों इतनी गुमसुम रहती हो। तृप्ति ने चुप्पी साध ली और नज़रे नीचे कर ली तृप्ति बोली अगर तुम्हे सब बता दिया तो तुम भी मुझ पर हंसने लगोगे अतुल बोला नहीं दोस्त है तो इतना बता सकती हो अगर तुम चाहो तो तृप्ति ने कहा बचपन से एक अजीब सा डर मेरे अंदर है और वो डर है मेरे सांवले रंग को लेकर सब मुझपे हंसते है और मेरा मज़ाक बनाते है मैंने बचपन में ही ठान लिया था ना किसी से अब दोस्ती करूंगी और ना ही बात अतुल जोर से हंसने लगा तृप्ति गुस्से से बोला था ना तुम भी हंसोगे मुझ पर अतुल नहीं मैं तुम पर नहीं तुम्हारी बातों पे हस रहा हूं।
जरूरी नहीं तृप्ति खूबसूरत होने के लिए चेहरा ही खूबसूरत हो एक खूबसूरत दिल भी जरूरी होता है जो तुम पर है और शायद इन सुंदर लड़कियों पर नहीं मैंने तुम्हे एक दिन वो बस स्टॉप पर एक बुजुर्ग से बड़े प्यार से बात करते देखा था और तुमने उन्हें कुछ खाने को भी दिया थाऔर बुज़ुर्ग ने रोते हुए तुम्हारे सिर पर हाथ रखा था मैंने तुम्हारी खूबसूरती उसी दिन देख ली थी तृप्ति नहीं वो तो मैं बस ऐसे ही।
अतुल देखो तृप्ति मैं एक बात बोलूंगा दुनिया तुमसे प्यार करे ना करे लेकिन तुम हमेशा खुद से प्यार करो दुनिया है तृप्ति अच्छे बनोगे तब भी सवाल करेगी तो इस दुनिया से क्यों डरे भला हर कोई मन की खूबसूरती नहीं पहचान पाता और तन से ज्यादा मन खूबसूरत होना जरूरी है। और तुम तो खुदा का फरिश्ता हो तृप्ति। पहले तुम खुद को बदलो और खुद से प्यार करना सीखो। खुद को स्वीकारना शुरू करोअपने सपनों को उड़ान दो। देखना ये जमाना एक दिन ख़ुद तुम्हारी तारीफ़ करेगारहा ये समाज ये कभी नहीं बदलेगा
बस तृप्ति ने धीरे-धीरे खुद को बदलना शुरू कर दिया। तृप्ति आज ब्यूटी ब्लॉगर है।
खुशी-खुशी अपनी जिंदगी जी रही है और लाखों लोगों की खूबसूरती में चार चांद लगा रही है।
