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बचपन का प्यार

बचपन का प्यार

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रोहित और नैना बचपन के बहुत अच्छे दोस्त थे। दोनों एक ही स्कूल, एक ही गली रहते थे। लड़ना झगड़ना फिर से एक हो जाना मानो रोज़ का था। रोहित और नैना क्लास 7 में पड़ते थे। एक दिन नैना के पापा का ट्रान्सफर जयपुर हो गया। और नैना गुड़गाँव से जयपुर चली गई। बचपन का प्यार बस जैसे गली तक ही रह गया था। लेकिन रोहित नैना को कहीं दिल में छुपा बैठा था। 7 साल बाद रोहित के पड़ोस में शादी थी। रोहित को पता था नैना का परिवार वहां शादी में आएगा। रोहित बहुत बेकाबू बैचेन था। हो भी क्यूँ ना बचपन का प्यार जो आने वाला था। वो उसकी राह देख रहा था। आखिर वो दिन आ ही गया। रोहित नैना के मम्मी पापा को देख बहुत खुश हुआ। लेकिन नैना कहीं नजर नहीं आई। उसका दिल बैठ सा गया। हिम्मत कर के उसने नैना की माँ से पूछ ही लिया। नैना कहाँ है ? मानो माँ पर सन्नाटा सा छा गया। उदास मुंह से माँ ने बोला बेटा नैना नहीं है इस दुनिया में । यहां से जाने के 6 महीने बाद ही ब्रेन फिवर से उसकी मौत हो गई।

ऐसा सुनते ही रोहित के पैरो तले ज़मीन खिसक गई। उसका अधूरा प्यार अधूरा ही रह गया...।


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