सपना
सपना
एक लड़की किरण, अपने नाम के अर्थ को सार्थक करते हुए दूसरों के सपनों को पूरा करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर चुकी थी। एक हाथ में बैसाखी और दूसरे हाथ में खाने की थाली लेकर वो अपने इस बड़े से परिवार के नए सदस्य का स्वागत करने पहुंची थी जिसे भाग्य ने उसके सपनों से दूर करने के लिये उसे भी बेबस बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
किरण कमरे में पहुँची। उसने थाली मेज पर रखी और उसके सामने पहुँची। उसे देखते ही किरण के होश उड़ गए। वो और कोई नहीं बल्कि उसके बचपन की सहेली ज्योति थी। उसकी आँखों पर काला चश्मा लगा हुआ था। उसके हाथ में छड़ी थी जिसकी मदद से वो कमरे में टहल रही थी।
ज्योति को इस तरह देखकर किरण की आंखों में आंसू आ गए। वो खुद को रोक नहीं पाई और ज्योति के गले लग कर रोने लगी। ज्योति आवाज सुनते ही किरण को पहचान गई और उससे हंसकर बोली- “जिसने तुझसे तेरे सपने छीन लिए, तू उसके लिए ही रो रही हैं। देख मैंने जो कुछ भी तेरे साथ किया किस्मत ने मुझे सूद समेत लौटा दिया है।”
किरण को वह दिन याद आने लगता हैं जब उसकी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा सपना पूरा होने जा रहा था। उसे अपने अधिकारी बनने के सपने के लिए चिकित्सीय जांच करवाने के लिए समय पर पहुँचना था। वो बड़े आत्मविश्वास के साथ घर से बाहर तो निकली लेकिन उसकी आंखें अस्पताल में खुली। मोटरसाइकिल पर सवार कुछ लड़कों ने उसे टक्कर मार दी थी जिसकी वजह से उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई थी।
जब पुलिस ने इस दुर्घटना की जांच की तो पता चला कि यह किरण की बचपन की दोस्त ज्योति ने करवाया था क्योंकि उसे वो चिकित्सीय परीक्षण पास करना था जो किरण के रहते मुमकिन नहीं था।
यह सुनकर किरण एक दम टूट गई। उसने वो शहर भी छोड़ दिया और यहाँ आकर एक संस्था में काम करने लगी। आज ज्योति उसी संस्था में किरण से मदद लेने आई थी।
ज्योति भी वो टेस्ट पूरा नहीं कर पाई थी। किरण के एक्सीडेंट की खबर सुनते ही खुशी से जैसे ही अपने घर से निकली एक ट्रक ने उसे टक्कर मार दी।
जिस सपने के लिए ज्योति ने अपनी दोस्त के सपने को तोड़ दिया वहीं सपना उसका साथ छोड़ गया था।