सपना
सपना
साधारण से मध्यम वर्गीय परिवार की साधारण सी लड़की थी सपना। सपने तो बहुत थे उसकी आंखों में , कुछ करने के अपने लिए, समाज के लिए और अपने माता-पिता के लिए लेकिन छोटा शहर और परिस्थितियों के कारण कुछ कर ही नहीं पाई।। देखने में अच्छी थी और पढ़ने में भी ठीक ठाक ही थी। एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाकर ही मां का हाथ बंटाने की कोशिश करती थीबहुत से लड़के थै जो उसके साथ दोस्ती करने की कोशिश करते रहते थे, लेकिन सपना किसी को अपने पास फटकने भी नहीं देती थी।। बस इसी तरह ज़िन्दगी की गाड़ी चल रही थी।
एक दिन सपना के लिए एक बहुत बड़े घर से रिश्ता आया, हीरो जैसा हैंडसम लड़का और नामी-गिरामी परिवार। सफना के सपनों को तो मानो पंख ही लग गए थे।
माता-पिता ने अपनी हैसियत से बढ़कर जैसे तैसे शादी की तैयारियां कीं,और सपना विदा हो गई अपने सपने लेकर । साथ ही इतना सुन्दर जीवनसाथी मिलने की खुशी।।
पर वो कहते हैं ना कि कभी कभी हमें अपनी ही नज़र लग जाती है। सपना के साथ भी ऐसा ही हुआ। ससुराल में पता चला कि दूर के ढोल सुहावने थे।सब लोग लड़ते झगड़ते रहते थे।
पति भी शराब पीकर अक्सर उस पर हाथ उठा देता। धीरे धीरे समय बीतता गया। सपना माँ बन गई और उसने इन्हीं हालातों के साथ जीना सीख लिया।।और उसके सपने, उनका क्या हुआ? वो आज भी ज़िन्दा हैं उसके बच्चों की शक्ल में, पर आज शायद किसी को परवाह नहीं है उसके सपनों की।। फिर भी वो हर दिन देखती है वो सपना कि काश वो भी कुछ कर पाती।।