shalini Shambhavi

Fantasy Children

4  

shalini Shambhavi

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निराला प्रेम

निराला प्रेम

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एक बार पूर्व के किसी राज्य में एक बहुत ही न्यायप्रिय राजा था। उसे पशु पक्षियों से बड़ा प्रेम था। उसके बाग में अनेक प्रकार के पक्षी थे। राजा वहां घूमने जाता तो पक्षियों के कलरव से मंत्रमुग्ध हो वहीं बैठ जाता। इसी प्रकार उसने पशुओं के लिए भी एक विशाल पशुशाला का निर्माण कराया था जहां अनेक विशिष्ट प्रजाति के प्राणी थे,जिनकी सुरक्षा के लिए अनेक सैनिकों को नियुक्त किया गया था।

इन पशुओं में 'दीनू' नाम का हाथी राजा को

बहुत प्रिय था। महाराज प्रतिदिन उसको देखने जाते। दीनू भी महाराज के बिना खिलाए कुछ न खाता। एक बार दीनू बीमार पड़ गया। राजा जब उसे देखने आए तो वह उन्हें देखकर आंसू बहाता रहा। राजा बड़े दुखी हुए। राजा ने कठोर आदेश दे दिया कि यदि हाथी की सेवा में कुछ कमी हुई, और किसी ने भी उसके मरने का कोई समाचार सुनाया तो उसको मृत्युदंड दिया जाएगा। सभी सेवक घबरा गए। पूरे यत्न से हाथी की सेवा सुरक्षा की जाने लगी। लेकिन मृत्यु को कौन टाल सकता है भला। और एक दिन हाथी मर गया,सभी सैनिकों में अफरातफरी मच गई कि राजा तक संदेश कौन पंहुचाए। सबको मृत्युदंड का भय था।उन्हीं सेवकों में एक १०-१२साल का बालक भी था कुछ समय पहले ही उसके पिता परलोक सिधार गए थे। वह निडरता से बोला आप लोग घबराओ मत मैं राजा को संदेश देकर आऊंगा। सभी सेवक कहने लगे,"अरे ! तुम तो अभी बालक हो क्या तुम्हें मृत्यु का भय नहीं है।" लेकिन बालक की निडरता देखकर सब चुप हो गए।

बालक राजदरबार पहुंचा और हाथ जोड़कर विनम्रता से बोला," महाराज की जय हो ! महाराज आज दीनू न खाता है, न पीता है, न सोता है न जागता है न उठता है न बैठता है। महाराज न जाने उसे क्या हो गया है यहां तक कि वह सांस भी नहीं ले रहा है।"

 राजा बोले," इसका मतलब तो वह मर गया है।"

बालक तपाक से बोला," महाराज यह तो आप ही कह रहे हैं मैं भला ऐसा कैसे कह सकता हूं"।

राजा उसकी चतुराईपूर्ण बातों से स्तब्ध थे उनके पास कोई जवाब न था। हाथी के मरने के समाचार से राजा बहुत दुखी हुए उस दिन उन्होंने भोजन भी नहीं किया। उन्होंने बालक की चतुराई से प्रसन्न होकर उसे पुरस्कृत किया और उसके रहने, खाने और शिक्षा आदि की उचित व्यवस्था कराई ताकि वह एक योग्य सेनापति बन सके।

  बालक को दंड की जगह पुरस्कार देने की बात से सेवक बहुत हैरान रह गए परन्तु वे कभी यह नहीं जान पाए कि बालक ने आखिर कहा क्या था।।

अपनी बुद्धि चातुर्य से मनुष्य विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूल बना सकता है।।


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