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अपनी बुद्धि चातुर्य से मनुष्य विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूल बना सकता है। अपनी बुद्धि चातुर्य से मनुष्य विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूल बना सकता है।
जो दूसरों के हित में ही अपना हित समझता है वही श्रेष्ठ है। जो दूसरों के हित में ही अपना हित समझता है वही श्रेष्ठ है।
ससुराल में पता चला कि दूर के ढोल सुहावने थे। ससुराल में पता चला कि दूर के ढोल सुहावने थे।